
जालना। महाराष्ट्र में किसानों को दी जा रही प्राकृतिक आपदा सब्सिडी में बड़े घोटाले का पर्दाफाश हुआ है, जिसमें प्रारंभिक जांच में 89 कर्मचारी दोषी पाए गए हैं। इनमें तलाठी, ग्राम सेवक और कृषि सहायक शामिल हैं। प्रशासन ने अब तक 10 तलाठियों को निलंबित कर दिया है, जबकि अन्य पर भी कार्रवाई की तैयारी चल रही है। घोटाले के बाद जिला प्रशासन ने अंबड़ और घनसावंगी तालुकों के पांच पूर्व तहसीलदारों और पांच नायब तहसीलदारों को नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा है। इन अधिकारियों की देखरेख में ही यह घोटाला हुआ। पालकमंत्री पंकजा मुंडे ने भी नियोजन समिति की बैठक में स्पष्ट संकेत दिया था कि जिम्मेदार अधिकारियों पर भी कार्रवाई होगी। नोटिस के जवाब में अब तक दो अधिकारियों ने खुलासे सौंपे हैं, जबकि अन्य के जवाब का इंतजार है। विवाद की शुरुआत 2022 में किसानों को प्राकृतिक आपदाओं के लिए दी जा रही सब्सिडी में अनियमितताओं की शिकायतों से हुई थी। जनप्रतिनिधियों की मांग पर प्रशासन ने तीन सदस्यीय जांच समिति गठित की, जिसकी रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि तलाठियों, ग्राम सेवकों और कृषि सहायकों की मिलीभगत से करोड़ों रुपये की सब्सिडी गबन की गई। जांच के बाद दोषियों को नोटिस देकर स्पष्टीकरण मांगा गया, लेकिन जवाब असंतोषजनक पाए जाने पर दस तलाठियों को निलंबित कर दिया गया। अब शेष दोषी कर्मचारियों पर भी कार्रवाई की जा रही है, और संभावना है कि मंगलवार को कुछ और निलंबन किए जाएं। प्रशासनिक कार्रवाई के इस क्रम में सवाल यह भी उठ रहे हैं कि अब तक वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ प्रत्यक्ष कार्रवाई नहीं हुई है, जबकि यह घोटाला उनकी देखरेख में हुआ। हालांकि, प्रशासन ने संकेत दिए हैं कि संतोषजनक जवाब न मिलने पर इन अधिकारियों पर भी कार्रवाई तय है। यह घोटाला न केवल किसानों की उम्मीदों पर पानी फेरता है, बल्कि प्रशासनिक पारदर्शिता पर भी गंभीर प्रश्नचिह्न खड़ा करता है। आने वाले दिनों में इस मामले में और बड़े खुलासे तथा कार्रवाई की संभावना जताई जा रही है।