मुंबई। आईआरएस अधिकारी समीर वानखेड़े ने बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका दायर कर राज्य के पूर्व मंत्री और एनसीपी नेता नवाब मलिक के खिलाफ दर्ज एफआईआर की सीबीआई या अदालत की निगरानी में जांच की मांग की है। वानखेड़े का आरोप है कि मलिक द्वारा उनकी जाति को लेकर गलत आरोप लगाए गए, जिससे उन्हें और उनके परिवार को मानसिक तनाव का सामना करना पड़ा। यह एफआईआर 14 अगस्त 2022 को गोरेगांव पुलिस स्टेशन में दर्ज कराई गई थी, लेकिन अभी तक इस मामले में मलिक की गिरफ्तारी या आरोपपत्र दाखिल नहीं हुआ है। वानखेड़े, जो अनुसूचित जाति के सदस्य हैं और वर्तमान में करदाता सेवा महानिदेशालय (डीजीटीएस) में अतिरिक्त आयुक्त के पद पर कार्यरत हैं, ने मलिक पर आरोप लगाया कि मलिक ने उनके खिलाफ सोशल मीडिया और टीवी पर एक निरंतर अभियान चलाकर उनकी जाति को निशाना बनाया और उनकी जाति प्रमाण पत्र की वैधता पर सवाल उठाए। वानखेड़े ने पहले अनुसूचित जाति आयोग में मलिक के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। विवाद का एक प्रमुख कारण वानखेड़े द्वारा 2021 में कॉर्डेलिया क्रूज़ ड्रग मामले में शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान और मलिक के दामाद समीर खान की गिरफ्तारी भी है। वानखेड़े का दावा है कि समीर खान की गिरफ्तारी के बाद से मलिक ने उन्हें बदनाम करने का अभियान चलाया। हाई कोर्ट ने इस मामले में एक अलग मानहानि मुकदमे में मलिक को वानखेड़े के खिलाफ टिप्पणी करने से रोका था, लेकिन वानखेड़े का कहना है कि मलिक ने इस आदेश का पालन नहीं किया और हाल ही में 27 अक्टूबर, 2024 को फिर से उनकी जाति प्रमाण पत्र की वैधता पर सवाल उठाया। जाति जांच समिति ने वानखेड़े के जाति प्रमाण पत्र की प्रामाणिकता को एक विस्तृत 91 पेज की रिपोर्ट में सही ठहराया है। वानखेड़े की मांग है कि इस मामले की निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए मामले की जांच सीबीआई या अदालत की निगरानी में की जाए।