
नई दिल्ली। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने एक बड़े अंतरराष्ट्रीय साइबर धोखाधड़ी नेटवर्क का पर्दाफाश करते हुए चार विदेशी नागरिकों सहित 17 आरोपियों और 58 कंपनियों के खिलाफ चार्जशीट दायर की है। यह कार्रवाई साइबर-सक्षम वित्तीय अपराधों के खिलाफ चलाए जा रहे ‘ऑपरेशन चक्र-V’ के तहत की गई है। सीबीआई के अनुसार, यह मामला गृह मंत्रालय के अंतर्गत भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4सी) से प्राप्त सूचनाओं के आधार पर दर्ज किया गया था। प्रारंभ में यह अलग-अलग ऑनलाइन ठगी की शिकायतों जैसा प्रतीत हो रहा था, लेकिन विस्तृत और गहन जांच में एक संगठित अंतरराष्ट्रीय साइबर सिंडिकेट का खुलासा हुआ। जांच में सामने आया कि यह गिरोह लोन ऐप्स, फर्जी निवेश योजनाओं, पोंजी और एमएलएम स्कीम, पार्ट-टाइम नौकरी के झूठे ऑफर और धोखाधड़ी वाले ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म के जरिए लोगों को ठग रहा था। साइबर अपराधियों ने गूगल विज्ञापनों, बल्क एसएमएस, सिम बॉक्स, क्लाउड सर्वर, फिनटेक प्लेटफॉर्म और सैकड़ों फर्जी बैंक खातों का इस्तेमाल कर एक जटिल डिजिटल ढांचा खड़ा किया था, जिससे धन को कई स्तरों पर घुमाकर असली संचालकों की पहचान छिपाई जा सके।
सीबीआई की जांच में यह भी खुलासा हुआ कि यह नेटवर्क देश के कई राज्यों में सक्रिय था और अब तक हजारों लोगों को ऑनलाइन ठगी का शिकार बनाया जा चुका है। इस पूरे नेटवर्क की रीढ़ 111 शेल कंपनियां थीं, जिन्हें फर्जी निदेशकों, गलत दस्तावेजों और झूठे पतों के आधार पर पंजीकृत किया गया था। इन्हीं कंपनियों के माध्यम से विभिन्न पेमेंट गेटवे पर मर्चेंट अकाउंट खोले गए। जांच के दौरान 1,000 करोड़ रुपये से अधिक के संदिग्ध लेन-देन का पता चला है। एक ही बैंक खाते में 152 करोड़ रुपये से अधिक की राशि जमा होने की पुष्टि हुई है, जिसने जांच एजेंसी की चिंता और बढ़ा दी। सीबीआई ने कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल, आंध्र प्रदेश, झारखंड और हरियाणा में 27 अलग-अलग स्थानों पर तलाशी अभियान चलाया, जहां से डिजिटल उपकरण और महत्वपूर्ण दस्तावेज जब्त किए गए। फोरेंसिक जांच में यह भी स्पष्ट हुआ कि इस पूरे नेटवर्क को विदेश में बैठे विदेशी नागरिक नियंत्रित कर रहे थे, जबकि भारत में उनके सहयोगी संचालन संभाल रहे थे। सीबीआई ने चार विदेशी मास्टरमाइंड, उनके भारतीय सहयोगियों और 58 कंपनियों के खिलाफ आपराधिक साजिश, जालसाजी और अनियमित जमा योजना प्रतिबंध अधिनियम, 2019 सहित विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज किया है। एजेंसी ने स्पष्ट किया है कि साइबर अपराध और डिजिटल ठगी के खिलाफ यह कार्रवाई आगे भी जारी रहेगी।




