
मुंबई। एक कथित रियल एस्टेट धोखाधड़ी मामले में उस समय अप्रत्याशित मोड़ आया जब शिकायत दर्ज कराने वाला ठेकेदार खुद ही आरोपी बन गया और पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया। खार पुलिस द्वारा दर्ज इस मामले में 53 वर्षीय ठेकेदार सैयद अबी अहमद पर 35 लोगों से फर्जी दस्तावेजों के जरिए करोड़ों रुपये ठगने का आरोप है। सत्र अदालत ने हाल ही में अहमद की ज़मानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि यदि उसे रिहा किया गया तो अभियोजन पक्ष को गंभीर नुकसान होगा। अहमद को 25 अगस्त को बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश पर गिरफ्तार किया गया था। अभियोजन पक्ष के अनुसार, उसने 2014 में सांताक्रूज़ क्षेत्र में विजय धुले नामक व्यक्ति से 2,860 वर्ग फुट की संपत्ति एक नोटरीकृत बिक्री समझौते के माध्यम से खरीदी थी। बाद में वित्तीय समस्याओं का हवाला देकर उसने उस संपत्ति को विकसित नहीं किया। इस बीच, अप्रैल 2024 में पीर मोहम्मद शेख उर्फ बाबू ने उस संपत्ति को विकसित करने का प्रस्ताव दिया। दोनों के बीच साझेदारी बनी, लेकिन जून तक बाबू ने घाटे का हवाला देते हुए समझौता तोड़ने की बात कही। अहमद ने दावा किया कि उसने बाबू को 1.60 करोड़ रुपये लौटाए, जो 35 संभावित खरीदारों से घर बुकिंग के नाम पर लिए गए थे। जून 2024 में बाबू ने कथित तौर पर लिखित रूप में फ्लैटों पर अपने अधिकार छोड़ दिए। हालांकि, अगस्त 2024 में अहमद ने आरोप लगाया कि बाबू ने उससे और धन की मांग की और विवाद के दौरान हाथापाई भी हुई, जिसके चलते वह चार महीने तक अस्पताल में भर्ती रहा। उसकी अनुपस्थिति में बाबू ने पहली मंज़िल के फ्लैट बेच दिए। इस पर अहमद ने खार पुलिस से शिकायत की। जांच के दौरान पुलिस ने पाया कि जिस संपत्ति के दस्तावेज़ों के आधार पर सौदा हुआ था, वे फर्जी थे। जिस वकील के नाम पर नोटरी सील लगी थी, उनकी मृत्यु हो चुकी थी और उनके हस्ताक्षर जाली निकले। बाबू के वकील तारिक खान ने 18 अगस्त को अदालत में इन तथ्यों को पेश किया, जिसके बाद अदालत ने अहमद को भी आरोपी के रूप में मामले में शामिल करने का आदेश दिया। इसके बाद पुलिस ने अहमद को गिरफ्तार किया। उसने ज़मानत की अर्जी दाखिल करते हुए दावा किया कि दस्तावेज़ असली थे और उसने कोई धोखाधड़ी नहीं की। उसने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए राहत मांगी, लेकिन अदालत ने कहा कि “अहमद के खिलाफ प्रथम दृष्टया ठोस मामला बनता है” और ज़मानत देने से इंकार कर दिया। यह मामला अब मुंबई के रियल एस्टेट सेक्टर में फर्जीवाड़े के एक और बड़े उदाहरण के रूप में देखा जा रहा है, जहाँ शिकायतकर्ता और आरोपी के बीच की सीमाएँ धुंधली होती दिख रही हैं।