
मुंबई। अदालत ने गुरुवार को इंद्राणी मुखर्जी की बेटी विधि मुखर्जी का बयान दर्ज करना समाप्त किया, जिससे इस बहुचर्चित मामले में कई नए पहलू उजागर हुए और कई सवाल अब भी अनुत्तरित रह गए। विधि ने जाँच एजेंसियों के समक्ष और बाद में अपनी गवाही में विरोधाभासी रुख अपनाया, जबकि गुरुवार को अदालत में दाखिल हलफनामे में उन्होंने कुछ पूर्ववर्ती बयानों से असहमति जताई। गुरुवार को पीटर मुखर्जी की वकील मंजुला राव ने विधि से जिरह की, जिसमें उनकी शिक्षा, विदेश दौरों के खर्च, शिक्षा ऋण और न्यूज़ीलैंड के एएनजेड बैंक में खाते के विवरण सहित कई मुद्दों पर सवाल पूछे गए। राव ने इंगित किया कि इंद्राणी के ज़मानत पर रिहा होने के बाद, विधि को कुछ महीनों के लिए अपनी माँ के साथ रहने की अनुमति देने हेतु दायर याचिका में उनका प्रतिनिधित्व इंद्राणी के वकील रंजीत सांगले ने किया था। जिरह के दौरान विधि ने कई सवालों के जवाब देने से परहेज किया और कुछ मामलों में विशेषाधिकार का हवाला दिया। उनसे पूछा गया कि क्या उन्होंने पीटर मुखर्जी के पत्र के आधार पर एएनजेड बैंक के संयुक्त खाते से धनराशि स्थानांतरित की थी, जिसे उन्होंने नकार दिया। राव ने दावा किया कि पीटर ने अदालत में आरोप लगाया था कि बैंक को जारी पत्र पर उनके जाली हस्ताक्षर थे। बाद में विधि से पूछा गया कि क्या उन्होंने एक अलग खाता खोला और अपने माता-पिता के खाते से धनराशि अपने खाते में ट्रांसफर करवाई। उन्होंने खाता खोलने की बात स्वीकार की, लेकिन धनराशि के स्थानांतरण से इनकार किया। हालांकि, उन्होंने स्वीकार किया कि पीटर के यूके स्थित वकील से एक बड़ी राशि उनके अन्य खाते में आई थी। विधि ने अपनी पुस्तक ‘डेविल्स डॉटर’ का भी उल्लेख किया, जिसे उन्होंने कोविड महामारी के दौरान 2021 में हांगकांग में फंसे होने के समय लिखा था। उन्होंने कहा कि उन्हें पुस्तक प्रकाशित करने का पछतावा है, लेकिन अग्रिम राशि लौटाने से इनकार किया। विशेष सीबीआई अदालत में दाखिल दिसंबर 2022 के हलफनामे को लेकर पूछे गए सवालों पर उन्होंने कहा कि वे न तो वकील को पहचान सकती हैं और न ही हस्ताक्षर को, और इसके कारणों पर भी जवाब देने से बचीं। गवाही पूरी होने के बाद, विधि ने अदालत से अपने माता-पिता इंद्राणी और पीटर मुखर्जी को गले लगाने की अनुमति मांगी। सुनवाई समाप्त होने पर माँ-बेटी ने लगभग एक दशक बाद एक-दूसरे से मिलकर खुशी व्यक्त की। इंद्राणी मुखर्जी ने कहा, आज मुझे सचमुच आज़ादी का एहसास हो रहा है। अब विधि को होटल में रुकने की ज़रूरत नहीं और वह मेरे साथ रह सकती है। अदालत द्वारा दी गई ज़मानत की शर्तों के अनुसार, अभियुक्तों को गवाहों से संपर्क करने पर रोक थी, जो अब इस महत्वपूर्ण चरण के बाद हटती हुई प्रतीत हो रही है।