
स्वतंत्र लेखक- इंद्र यादव
उत्तर प्रदेश! सिद्धार्थनगर, हिटी। वाह रे भारतीय पुलिस! पांच दिन हो गए, चार सिपाही फरार हैं, और आपकी ‘हाई-टेक’ तलाशी अभी भी नेपाल की सरहद पर ‘गड़ाई नजर’ से शुरू होकर ‘हाथ खाली’ पर खत्म हो रही है। 25-25 हजार का इनाम घोषित कर दिया, जैसे कोई लॉटरी टिकट बांट रहे हों। अरे भई, इतने पैसे से तो नेपाल में अच्छी खासी पनाहगाह बन जाती, लेकिन नहीं, हमारे बहादुर सिपाही तो ‘मरणासन्न’ युवक को पीटकर खुद ‘अमर’ हो गए हैं – पकड़ में आने का नाम ही नहीं! मोहाना थाना, नेपाल बॉर्डर से सटा हुआ। 22 अक्टूबर की रात, लक्ष्मी विसर्जन के जुलूस में रजनीश पटेल को उठाया, बाइक पर बैठाकर ले गए, पिटाई की, पेट्रोल पंप के पास फेंका – और फिर। पूफ! गायब! केस दर्ज, सस्पेंड, दो सीओ की टीमें, खुफिया तंत्र – सब लगा दिए। भारत के ‘सभी संभावित ठिकानों’ पर छापे मारे, लेकिन कुछ नहीं मिला। अब नेपाल में नजरें गड़ाईं। वाह! सरहद पार करने में तो ये सिपाही पुलिस से ज्यादा तेज निकले। शायद बॉर्डर पर लगे CCTV कैमरे भी ‘सस्पेंड’ हो गए होंगे, या फिर नेपाल पुलिस को ‘इनाम’ का लालच देकर चुप करा लिया। एसपी डॉ. अभिषेक महाजन साहब का बयान सुनिए बादामी मुस्कि के साथ बड़े प्यार से कहते है आरोपी जल्द गिरफ्तार हो जाएंगे। टीमें काम कर रही हैं। नेपाल में होने की जानकारी नहीं।” अरे साहब, जानकारी नहीं तो नजरें क्यों गड़ा रहे हो। ये तो वही बात हुई कि चोर घर में घुस आए, और मालिक कहे – ‘मुझे पता नहीं, लेकिन मैं तलाशी ले रहा हूं!’ सरकार की ‘डिजिटल इंडिया’ कहां गई। ड्रोन उड़ाओ, सैटेलाइट ट्रैकिंग लगाओ, या कम से कम बॉर्डर पर एक ‘सेल्फी पॉइंट’ बना दो जहां फरार सिपाही खुद फोटो खिंचवाकर सरेंडर कर दें। लेकिन नहीं, हमारी पुलिस तो ‘खाक छानने’ में माहिर है – पांच दिन में इतनी धूल उड़ाई कि नेपाल तक पहुंच गई, लेकिन आरोपी? वो तो शायद काठमांडू में चाय पी रहे होंगे! और सरकार। अरे, ये तो ‘आतंकवादियों’ को पकड़ने का दावा करती है, लेकिन अपने ही सिपाहियों को नहीं ढूंढ पा रही। रजनीश पटेल लखनऊ में मौत से लड़ रहा है, और ये ‘कानून के रखवाले’ कानून से खेल रहे हैं। क्या यही है ‘सुशासन’? इनाम बढ़ाओ 50 हजार करो, शायद तब नेपाल पुलिस जागे। वरना, अगली बार कोई जुलूस निकले तो पुलिस खुद विसर्जन कर दे – खुद को! पुलिस महकमा, जरा आईना देखो: फरार सिपाही तुम्हारी यूनिफॉर्म पर कलंक हैं, और तुम्हारी तलाशी पर हंसी। नेपाल से लौटकर पहले अपने थाने की सफाई करो, वरना जनता कहेगी – ‘पुलिस आई, पुलिस गई, हाथ खाली रहे!




