
रत्नागिरी। हम सभी यह सुनिश्चित करने का प्रयास करेंगे कि समाज के अंतिम व्यक्ति को मंदनगढ़ स्थित दीवानी एवं फौजदारी न्यायालय के नए भवन से कम से कम समय और कम से कम खर्च में न्याय मिले। यही भारत रत्न डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के सामाजिक और आर्थिक समानता के स्वप्न को साकार करने का मार्ग है, यह बात सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश भूषण गवई ने रविवार को मंदनगढ़ में कही। मुख्य न्यायाधीश गवई ने मंदनगढ़ में नव-निर्मित दीवानी एवं फौजदारी न्यायालय भवन का उद्घाटन किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश चंद्रशेखर, न्यायमूर्ति मकरंद कार्णिक, न्यायमूर्ति माधव जामदार, राज्य उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति एस.पी. तावड़े, पालकमंत्री डॉ. उदय सामंत, राज्यमंत्री योगेश कदम, विधायक किरण सामंत, विभागीय आयुक्त विजय सूर्यवंशी, विशेष पुलिस महानिरीक्षक संजय दराडे, जिला कलेक्टर मनुज जिंदल सहित बड़ी संख्या में अधिकारी, वकील और नागरिक उपस्थित थे।
समारोह के दौरान मुख्य न्यायाधीश गवई ने न्यायालय परिसर में डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर की पूर्ण प्रतिमा और भित्ति चित्र का अनावरण किया तथा न्याय कक्ष और पुस्तकालय का उद्घाटन भी किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि यह क्षण उनके न्यायिक जीवन के लिए ऐतिहासिक है। “मैंने न्यायाधीश के रूप में 22 वर्ष पूरे किए हैं। कोल्हापुर पीठ का उद्घाटन और आज का मंदनगढ़ न्यायालय उद्घाटन- दोनों मेरे जीवन की महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ हैं। मुख्य न्यायाधीश ने महाराष्ट्र सरकार, विशेषकर विधि एवं न्याय विभाग और लोक निर्माण विभाग की सराहना करते हुए कहा कि राज्य ने न्यायालयों के ढाँचे के विकास में अनुकरणीय कार्य किया है। “महाराष्ट्र के तालुकों में जितनी सुंदर न्यायालय इमारतें हैं, वैसी देश के अन्य राज्यों में विरले ही देखने को मिलेंगी। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि यह न्यायालय भवन केवल एक इमारत नहीं, बल्कि जनता के लिए न्याय की गतिशील प्रणाली का प्रतीक है। उन्होंने बताया कि 8 अक्टूबर 2023 को इस भवन की आधारशिला रखी गई थी और महज़ दो वर्षों में लोक निर्माण विभाग ने इसे पूरा कर लिया। “2014 से अब तक राज्य में लगभग 150 नई अदालतों और न्यायालय भवनों को मंजूरी दी गई है, जिनमें से अनेक पूरे भी हो चुके हैं। इसका श्रेय मुख्य न्यायाधीश गवई को जाता है, जिन्होंने राज्य सरकार के साथ निरंतर संवाद बनाए रखा। फडणवीस ने आगे कहा कि चिपलूण न्यायालय भवन की माँग को तुरंत मंजूरी दी जाएगी और आंबेडवे में भारत रत्न डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के स्मारक के निर्माण में भी तेजी लाई जाएगी। मंदनगढ़ न्यायालय चार से साढ़े चार लाख नागरिकों के लिए केंद्रीय स्थान होगा, जिससे लोगों की यात्रा और धन की बचत होगी। उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि डॉ. आंबेडकर ने समाज के वंचित वर्गों को न्याय दिलाने के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित किया, और यह नया न्यायालय भवन उनकी उस भावना का साकार रूप है। “यह भवन केवल न्याय का स्थल नहीं, बल्कि संविधान का मंदिर है। यहाँ लगी आंबेडकर की प्रतिमा हर नागरिक को न्याय के प्रति जागरूक करेगी।
पालक मंत्री डॉ. उदय सामंत ने कहा कि मंदनगढ़ जैसा छोटा गाँव, जिसकी आबादी लगभग 40 हज़ार है, अब देश का एकमात्र ऐसा गाँव है जहाँ दीवानी और फौजदारी दोनों न्यायालय स्थापित हैं। उन्होंने खेड़ला और चिपलूण में नए न्यायालय भवनों की माँग भी रखी और अंबाडवे स्मारक के शीघ्र निर्माण पर बल दिया। इस अवसर पर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश चंद्रशेखर, न्यायमूर्ति कार्णिक और न्यायमूर्ति जामदार ने भी अपने विचार रखे। कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन और छत्रपति शिवाजी महाराज, संविधान की प्रस्तावना तथा डॉ. आंबेडकर की प्रतिमाओं पर पुष्पांजलि अर्पित करने से हुई। अंत में वकील संघ के अध्यक्ष मिलिंद लोखंडे ने धन्यवाद ज्ञापन किया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में वकील, पक्षकार और नागरिकों की उपस्थिति ने इस ऐतिहासिक अवसर को साक्षी बनाया। जहाँ न्याय, संविधान और समानता की भावना एक मंच पर साकार हुई।




