
मुंबई। केंद्र सरकार के निर्देशानुसार महाराष्ट्र में इस वर्ष भी व्यापक कुष्ठ रोग पहचान अभियान चलाया जा रहा है, जिसके तहत 17 नवंबर से 2 दिसंबर 2025 तक राज्य के सभी जिलों में घर-घर सर्वेक्षण होगा। इस बार 8.66 करोड़ की जनसंख्या और 1 करोड़ 73 लाख 25 हजार घरों को सर्वेक्षण के लिए चयनित किया गया है। अभियान के लिए 65,832 टीमें और 13,166 पर्यवेक्षक तैनात किए गए हैं। प्रत्येक टीम ग्रामीण क्षेत्रों में रोज 20 तथा शहरी क्षेत्रों में 25–30 घरों का शारीरिक परीक्षण करेगी। प्रत्येक टीम में एक आशा स्वयंसेवक और एक पुरुष स्वयंसेवक शामिल होगा, जो 14 दिनों तक लगातार अभियान में कार्यरत रहेगा। अभियान की राज्य स्तरीय जनजागरूकता समिति की बैठक स्वास्थ्य सेवा आयुक्त एवं राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की निदेशक डॉ. कादंबरी बलकवड़े की अध्यक्षता में हुई, जिसमें विभिन्न विभागों, मीडिया प्रतिनिधियों और सामाजिक संगठनों के सदस्यों ने भाग लिया। लोक स्वास्थ्य मंत्री प्रकाश अबितकर ने सभी जिलों के पालक मंत्रियों, कलेक्टरों और ग्राम सरपंचों को पत्र लिखकर अधिक से अधिक रोगियों की पहचान सुनिश्चित करने और अभियान को सफल बनाने का आग्रह किया है। स्वास्थ्य विभाग के मुख्य सचिव डॉ. निपुण विनायक ने भी सभी जिला कलेक्टरों को पत्र भेजकर प्रभावी क्रियान्वयन पर जोर दिया है। स्वास्थ्य विभाग ने स्पष्ट किया कि कुष्ठ रोग का उपचार सभी सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में पूर्णतः निःशुल्क और प्रभावी रूप से उपलब्ध है। मेडिकल अधिकारियों द्वारा संदिग्ध रोगियों की जांच की जाएगी और आवश्यकता पड़ने पर तुरंत बहु-औषधि चिकित्सा शुरू की जाएगी। अभियान का उद्देश्य अज्ञात रोगियों की पहचान, उपचार के दायरे का विस्तार, संक्रमण श्रृंखला को तोड़ना और समुदाय में जागरूकता बढ़ाते हुए 2027 तक ‘कुष्ठ रोग प्रसार शून्य’ का लक्ष्य प्राप्त करना है। इसके लिए राज्य में प्रशिक्षण कार्यशालाएँ, जिला और तालुका स्तरीय समन्वय बैठकें और अधिकारियों का उन्मुखीकरण जारी है। महाराष्ट्र सरकार ने कुष्ठ रोग को हाल ही में ‘सूचनीय रोग’ घोषित किया है, जिसके अनुसार अब सभी डॉक्टरों और स्वास्थ्य संस्थानों को कुष्ठ रोग के मामलों का पंजीकरण संबंधित स्वास्थ्य कार्यालयों में 14 दिनों के भीतर कराना अनिवार्य है।




