
मुंबई। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मंगलवार को वसई-विरार नगर निगम (वीवीसीएमसी) क्षेत्र में फैले एक बड़े अवैध निर्माण घोटाले के सिलसिले में मुंबई सहित लगभग एक दर्जन ठिकानों पर छापेमारी की। यह कार्रवाई वीवीसीएमसी के पूर्व आयुक्त अनिल पवार द्वारा नए नगर निगम प्रमुख को कार्यभार सौंपने के एक दिन बाद की गई, जिसमें पवार के आवास को भी शामिल किया गया। छापेमारी वसई-विरार क्षेत्र में वर्ष 2009 से लेकर अब तक सरकारी और निजी भूमि पर किए गए अवैध आवासीय और वाणिज्यिक निर्माण से संबंधित है। ईडी ने यह जांच मीरा-भायंदर पुलिस आयुक्तालय द्वारा दर्ज कई प्राथमिकी के आधार पर शुरू की है, जिसमें बिल्डरों, स्थानीय गुर्गों और नगर निगम के अधिकारियों की मिलीभगत से बड़े पैमाने पर घोटाले का आरोप है। ईडी की जांच में सामने आया कि वसई-विरार की स्वीकृत विकास योजना के अनुसार सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट और डंपिंग ग्राउंड के लिए आरक्षित भूमि पर 41 से अधिक अवैध इमारतें खड़ी कर दी गईं। आरोप है कि बिल्डरों ने इन जमीनों पर अनधिकृत निर्माण कर फ्लैट बेचकर आम लोगों को गुमराह किया, जबकि उन्हें पहले से ज्ञात था कि ये इमारतें गैरकानूनी हैं और भविष्य में तोड़ी जा सकती हैं। निर्माण के बाद, बिल्डरों ने फर्जी कागज़ातों के आधार पर इन इमारतों को वैध दिखाने की कोशिश की। ईडी की छानबीन में यह भी सामने आया कि इस घोटाले के प्रमुख अभियुक्त सीताराम गुप्ता, अरुण गुप्ता और अन्य बिल्डर हैं, जिन्होंने वीवीसीएमसी के नगर नियोजन विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से वर्षों तक अवैध निर्माण को बढ़ावा दिया। सबसे चौंकाने वाला खुलासा तब हुआ जब ईडी ने वसई-विरार नगर निगम के नगर नियोजन विभाग के उप निदेशक वाई एस रेड्डी के परिसर में छापा मारा और वहाँ से ₹8.6 करोड़ नकद, ₹23.25 करोड़ मूल्य के हीरे जड़ित आभूषण और सोना, और बड़ी मात्रा में आपत्तिजनक दस्तावेज़ बरामद किए। इन दस्तावेजों में अवैध निर्माण के अप्रूवल, लेन-देन और विभिन्न अधिकारियों के साथ हुई संलिप्तता के साक्ष्य शामिल हैं। ईडी का कहना है कि यह छापेमारी अभियान जांच के प्रारंभिक चरण का हिस्सा है और आने वाले दिनों में और भी गिरफ्तारी व पूछताछ की संभावना है। यह मामला उजागर होने के बाद वसई-विरार क्षेत्र की स्थानीय राजनीति में हलचल मच गई है और नागरिक संगठनों ने दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की माँग की है। ईडी की कार्रवाई अवैध निर्माण और शहरी भ्रष्टाचार के खिलाफ एक निर्णायक कदम के रूप में देखी जा रही है।