
चंडीगढ़। हरियाणा के आईपीएस अधिकारी वाई पूरन कुमार के संदिग्ध आत्महत्या मामले में चंडीगढ़ पुलिस ने पूरे मामले की गहन जांच के लिए 6 सदस्यीय विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया है। एसआईटी में पुष्पेंद्र कुमार, आईपीएस, आईजीपी, यूटी चंडीगढ़ को प्रमुख बनाया गया है, जबकि कंवरदीप कौर, के.एम.प्रियंका, चरणजीत सिंह विर्क, गुरजीत कौर और इंस्पेक्टर जयवीर सिंह राणा सदस्य हैं। मामले की जाँच के क्रम में यह सामने आया है कि याचिका दर्ज होने के बाद पीड़िता ने अपने पति के लापता होने पर दोबारा शिकायत दर्ज कराई, जिससे जांच ने आत्महत्या की गहन पड़ताल की। इस बीच वाई पूरन कुमार की पत्नी आईएएस अमनीत पी कुमार ने एफ़आईआर में आरोपियों के नाम स्पष्ट रूप से न होने, एससी/एसटी एक्ट की धाराएँ न लगाने तथा सुसाइड नोट की प्रति न देने पर नाराजगी जताई है और एफ़आईआर में संशोधन की मांग की है। उन्होंने चंडीगढ़ एसएसपी को पत्र लिखकर इस मामले में पारदर्शिता की अपील की है। इस मामले पर राजनीतिक हलकों में भी तीव्र प्रतिक्रिया देखी जा रही है, जिसमें हरियाणा सरकार में एसीएस डी सुरेश कुमार ने हरियाणा डीजीपी शत्रुजीत कपूर और रोहतक SP नरेंद्र बिजारणिया की गिरफ्तारी की मांग की है, वहीं कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष उदय भान ने एफ़आईआर को पर्याप्त न मानते हुए तत्काल गिरफ्तारी की आवश्यकता जताई है और चेतावनी दी है कि कार्रवाई न होने पर बड़ा जन आंदोलन होगा। कांग्रेस विधायक गीता भुक्कल ने परिवार से मिलकर निष्पक्ष जांच की मांग की है, जबकि आप सांसद मालविंदर सिंह कंग और राज्यसभा सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला ने सरकार और पुलिस व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं। पीड़िता के परिवार की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए पुलिस ने उनके आवास पर चौकी स्थापित की है और उन्हें 24 घंटे सुरक्षा प्रदान करने का निर्णय लिया है। इस बीच दलित नेताओं ने इस मामले पर रणनीति बनाने के लिए 25 सदस्यीय कमेटी का गठन किया है, जो आगामी बैठक में आगे की कार्ययोजना तय करेगी। पूरे मामले में एफ़आईआर संशोधन, आरोपियों की गिरफ्तारी और पारदर्शी जांच की मांगें तेज होती जा रही हैं, जिससे यह सिर्फ एक पुलिस मामले से बढ़कर राजनीतिक और सामाजिक विवाद में बदलता जा रहा है।