
पुणे। राज्यपाल सी.पी.राधाकृष्णन ने सिम्बायोसिस विश्वविद्यालय में आयोजित अंतरराष्ट्रीय छात्र दीक्षांत समारोह के अवसर पर कहा कि जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए छात्रों को तीन सिद्धांतों—निरंतर प्रयास, समर्पण की भावना और एक निश्चित लक्ष्य—का पालन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि कोई व्यक्ति लक्ष्य निर्धारित करके, कड़ी मेहनत और एकाग्रता के साथ प्रयास करता है और कभी हतोत्साहित नहीं होता, तो वह निश्चित रूप से सफल होता है। राज्यपाल ने अपने संबोधन में जीवन में सकारात्मक सोच, प्रसन्न मन और कार्य के प्रति आनंद की भावना को भी आवश्यक बताया। उन्होंने कहा, “जीवन में थकान या निराशा आना स्वाभाविक है, लेकिन यह हमें रुकने नहीं देना चाहिए। हर प्रयास जीवन को आकार देने और खुशी प्राप्त करने में सहायक होता है।” उन्होंने छात्रों से आग्रह किया कि वे कार्य का आनंद लें, क्योंकि प्रसन्नता से कार्यक्षमता और ऊर्जा दोनों बढ़ती हैं। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डॉ. एस.बी. मजूमदार, प्रति कुलपति डॉ. विद्या येरवडेकर, कुलपति डॉ. रामकृष्णन रमन, राज्यपाल के सचिव डॉ. प्रशांत नारनवरे और रजिस्ट्रार डॉ. एम.एस. शेजुल उपस्थित रहे। राज्यपाल राधाकृष्णन ने यह भी कहा कि आज विश्व के कई देश भारत के प्रतिभाशाली और कुशल मानव संसाधन की ओर देख रहे हैं। छात्रों को इस अवसर का लाभ उठाने के लिए तैयार रहना चाहिए। उन्होंने महाराष्ट्र के विश्वविद्यालयों में जर्मन, फ्रेंच, जापानी, मंदारिन, स्पेनिश और इतालवी जैसी भाषाओं के अल्पकालीन पाठ्यक्रम शुरू करने की जरूरत पर बल दिया ताकि छात्रों को वैश्विक नौकरी बाजार में प्रतिस्पर्धात्मक लाभ मिल सके। राज्यपाल ने पुणे शहर को ऑटोमोबाइल, मीडिया और सूक्ष्म उद्यमों का प्रमुख केंद्र बताते हुए छात्रों को यहां के अवसरों का लाभ उठाने की सलाह दी। कुलाधिपति डॉ. मजूमदार ने ‘वसुधैव कुटुंबकम’ के आदर्श वाक्य का उल्लेख करते हुए बताया कि विश्वविद्यालय विभिन्न देशों के विद्यार्थियों को एक ही परिवार के रूप में जोड़कर शिक्षा प्रदान करता है। दीक्षांत समारोह में 22 देशों के 82 छात्रों को उपाधियाँ प्रदान की गईं। इस अवसर पर राज्यपाल ने विश्वविद्यालय के नए ब्रोशर का विमोचन भी किया। प्रति कुलपति डॉ. येरवडेकर ने विश्वविद्यालय की विविध शैक्षणिक गतिविधियों और पाठ्यक्रमों की जानकारी दी।