
इंद्र यादव
पालघर। वसई के औद्योगिक इलाके में 21 दिसंबर की दोपहर एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई, जहां उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गांव से रोज़गार की तलाश में आए दो दोस्त—राकेश अमरपाल सिंह और आसाराम राकेश की दोस्ती खूनी अंजाम तक पहुंच गई। दोनों एक ही कंपनी में मेंटेनेंस का काम करते थे और साथ-साथ भविष्य के सपने बुनते थे, लेकिन दोपहर करीब 2:30 बजे किसी अनकहे विवाद के बाद आसाराम ने धारदार औज़ार से राकेश के सिर पर हमला कर दिया, जिससे वह मौके पर ही गंभीर रूप से घायल होकर गिर पड़ा। मशीनों के शोर में उसकी चीख दब गई और कुछ ही देर में उसकी मौत हो गई। इसके बाद भी आरोपी का दिल नहीं पसीजा; उसने शव को कंपनी परिसर के पानी के टैंक में डालकर सबूत मिटाने की कोशिश की। शाम को राकेश की तलाश के दौरान उसका शव टैंक से बरामद हुआ, जिससे इलाके में सनसनी फैल गई। इस घटना ने एक गरीब मजदूर परिवार की दुनिया उजाड़ दी- गांव में बूढ़ी मां, परिवार और भविष्य के सपने सब कुछ एक झटके में टूट गए। वालीव पुलिस ने मामला दर्ज कर आरोपी की तलाश शुरू कर दी है। कानून अपना काम करेगा, लेकिन महानगरों की भागदौड़, मानसिक तनाव और अकेलेपन के बीच पनपती यह हिंसा समाज के सामने गंभीर सवाल छोड़ गई है, जिनका जवाब सिर्फ सजा से नहीं, संवेदनशीलता और जिम्मेदारी से ही मिल सकता है।




