
मुंबई। राज्य में मीठे पानी के तालाबों से मछली उत्पादन बढ़ाने और मछुआरों की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए तालाबों के डिजिटलीकरण को अत्यंत महत्व दिया जा रहा है। मत्स्य व्यवसाय में पारदर्शिता और सूचनात्मक उपलब्धता की कमी को दूर करने के लिए मत्स्य व्यवसाय मंत्री नितेश राणे ने डिजिटलीकरण प्रक्रिया को तुरंत लागू करने के निर्देश दिए हैं। मंत्री राणे ने कहा, इस व्यवसाय में पारदर्शिता लाना जरूरी है। हमें एक क्लिक पर सभी आवश्यक जानकारी उपलब्ध करनी होगी, जैसे कि किसे तालाब का ठेका दिया गया, ठेका कितने समय के लिए है, उत्पादन कितना है आदि। डिजिटलीकरण प्रक्रिया के तहत तालाबों का गूगल मैपिंग द्वारा वर्गीकरण किया जाएगा और ठेके, अनुबंध अवधि, उत्पादन स्तर, मछली पकड़ने वाले, विक्रेता और परिवहनकर्ताओं की जानकारी को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर लाया जाएगा। इसके अलावा, तालाबों से गंदगी और अतिक्रमण की जानकारी भी विभाग एकत्र करेगा ताकि मत्स्य व्यवसाय के आधुनिकीकरण में मदद मिल सके। राज्य में इस समय 500 हेक्टेयर से कम क्षेत्रफल वाले 2,410 तालाब, 500 से 1,000 हेक्टेयर के 41 तालाब और 1,000 हेक्टेयर से बड़े 47 तालाब हैं। इन्हें ए, बी और सी श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है। मत्स्य व्यवसाय आयुक्त श्री. तावडे ने बताया कि मछली के न्यूनतम मूल्य निर्धारण की नई प्रक्रिया शुरू की जा रही है और आधुनिकीकरण के साथ कंप्यूटरीकरण के माध्यम से मीठे पानी में मछली उत्पादन बढ़ाने के निर्णय लिए गए हैं