
मुंबई। त्योहारों को देखते हुए राज्य में खाद्य पदार्थों में मिलावट रोकने के लिए खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग ने विशेष अभियान शुरू किया है। ‘सं महाराष्ट्रा-संकल्प अन्न सुरक्षा’ नामक इस राज्यव्यापी अभियान के तहत अब तक १,५९४ खाद्य संयंत्रों का निरीक्षण किया गया है और २,३६९ खाद्य नमूने जांच के लिए लिए गए हैं। यह जानकारी खाद्य एवं औषधि प्रशासन मंत्री नरहरि जिरवाल ने बुधवार को संवाददाता सम्मेलन में दी। मंत्री जिरवाल ने बताया कि दूध, घी, खाद्य तेल, मिठाइयाँ, सूखे मेवे और चॉकलेट जैसे पदार्थों के नमूने एकत्र किए गए हैं। इनमें से ५५४ नमूनों की रिपोर्ट प्राप्त हो चुकी है। रिपोर्ट के अनुसार ५१३ नमूने प्रमाणित पाए गए, २६ नमूने निम्न गुणवत्ता के, ४ नमूनों में लेबलिंग दोष और ११ नमूने असुरक्षित पाए गए हैं। शेष १,८१५ नमूनों की रिपोर्ट आना बाकी है। उन्होंने कहा कि खाद्य सुरक्षा को मजबूत करने के लिए विभाग में २०० से अधिक सहायक आयुक्त (खाद्य) और खाद्य सुरक्षा अधिकारी के पदों पर भर्ती पूरी कर ली गई है। इसके साथ ही ७५० नए पद सृजित करने का प्रस्ताव वित्त विभाग को भेजा गया है। खाद्य नमूनों की जांच में तेजी लाने के लिए प्रयोगशालाओं का भी विस्तार किया जा रहा है। नागपुर, छत्रपति संभाजीनगर और पुणे में नई प्रयोगशालाओं का निर्माण पूरा हो चुका है और जल्द ही इनका उद्घाटन किया जाएगा। इन प्रयोगशालाओं को प्रभावी रूप से संचालित करने के लिए २५० नए पदों का प्रस्ताव भी भेजा गया है। उपमुख्यमंत्री एवं वित्त मंत्री अजीत पवार ने इसके लिए २०० करोड़ रुपये का कोष स्वीकृत किया है।
मंत्री ने आगे बताया कि हाफकिन इंस्टीट्यूट फॉर ट्रेनिंग रिसर्च एंड टेस्टिंग में पोलियो वैक्सीन उत्पादन के लिए २५ करोड़ रुपये और सर्पदंश वैक्सीन उत्पादन के लिए १ करोड़ ५० लाख रुपये का प्रावधान किया गया है। आवश्यकतानुसार इसमें वृद्धि की जाएगी। इसके अलावा, डॉ. माशेलकर समिति की अनुशंसा पर तीन सदस्यीय समिति का गठन भी किया गया है, जिसमें चिकित्सा शिक्षा, वित्तीय नियोजन और जन स्वास्थ्य विभाग के सचिव शामिल हैं। दूध में मिलावट रोकने के लिए निरीक्षण अभियान और सख्त बनाने की बात कहते हुए जिरवाल ने कहा कि जीएसटी में कमी आने से दवाओं की कीमतें घटी हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि दवा विक्रेता कम कीमत पर दवाइयाँ उपलब्ध नहीं कराते हैं तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।