मुंबई। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के दौरान वर्ली निर्वाचन क्षेत्र में एक बड़ा विवाद सामने आया है। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के प्रमुख राज ठाकरे के नाम से एक फर्जी पत्र वायरल हुआ है, जिसमें दावा किया गया कि ठाकरे ने वर्ली से शिवसेना (शिंदे गुट) के उम्मीदवार मिलिंद देवड़ा का समर्थन किया है। यह पत्र मनसे लेटरहेड पर लिखा गया था और इसे विश्वसनीय बनाने के लिए राज ठाकरे के जाली हस्ताक्षर भी किए गए थे। फर्जी पत्र में कहा गया था कि राज ठाकरे ने हिंदू वोटों को विभाजित होने से बचाने के लिए शिवसेना (शिंदे गुट) के उम्मीदवार को समर्थन दिया है। साथ ही, मतदाताओं से बड़ी संख्या में 20 नवंबर को मतदान कर महाराष्ट्र के विकास का समर्थन करने की अपील की गई थी।एफआईआर दर्ज, जांच जारी
मनसे कार्यकर्ताओं ने इस जालसाजी की शिकायत अग्रीपाड़ा पुलिस से की, जिसके बाद भारतीय दंड संहिता की धाराओं 336(2), 336(4), 353(2), और 171(1) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई। सूत्रों के अनुसार, शिवसेना (शिंदे गुट) के पूर्व शाखा प्रमुख राजेश कुसाले के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। पुलिस अब इस बात की जांच कर रही है कि राज ठाकरे के लेटरहेड और हस्ताक्षर का इस्तेमाल कर यह फर्जी पत्र कैसे बनाया गया। वर्ली से मनसे के उम्मीदवार संदीप देशपांडे ने पत्र की प्रामाणिकता की पुष्टि के लिए सीधे राज ठाकरे से संपर्क किया। ठाकरे ने साफ किया कि यह पत्र पूरी तरह से फर्जी है। इस घटना के बाद वर्ली में मनसे और शिवसेना (शिंदे गुट) के कार्यकर्ताओं के बीच तनाव बढ़ गया है। चुनाव प्रचार के अंतिम चरण में यह विवाद सामने आया, जिसने वर्ली क्षेत्र में राजनीतिक माहौल गरमा दिया है।
राजनीतिक रणनीति या जालसाजी? यह मामला चुनावी रणनीति के तहत विरोधी दलों को नुकसान पहुंचाने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। फर्जी पत्र के जरिए मतदाताओं को भ्रमित करने और हिंदू वोटों के ध्रुवीकरण की संभावना जताई जा रही है।
चुनाव आयोग की निगरानी
चुनाव आयोग भी इस मामले की जांच में सक्रिय भूमिका निभा सकता है, क्योंकि यह घटना चुनावी आचार संहिता का उल्लंघन कर सकती है। इस तरह के विवाद ने न केवल वर्ली में बल्कि पूरे महाराष्ट्र में चुनावी राजनीति को प्रभावित किया है। यह देखना दिलचस्प होगा कि जांच के बाद मामले में क्या खुलासे होते हैं।