
मुंबई/नागपुर। महाराष्ट्र विधानसभा के शीतकालीन सत्र के पहले ही दिन सत्र की अवधि को लेकर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता नाना पटोले आमने-सामने आ गए। सोमवार को सत्र की शुरुआत होते ही डिप्टी सीएम और वित्त मंत्री अजीत पवार ने सप्लीमेंट्री डिमांड्स पेश कीं, जिस पर नाना पटोले ने तीखा एतराज़ जताते हुए कहा कि सरकार गहन बहस से बच रही है और जल्दबाज़ी में बिल व मांगें ला रही है। पटोले ने सवाल उठाया कि 14 दिसंबर को समाप्त होने वाला यह सत्र नागपुर समझौते के अनुसार कम से कम दो सप्ताह का होना चाहिए, लेकिन सरकार इसे जल्द खत्म करना चाहती है। उन्होंने सदन में पूछा- राज्य सरकार इतनी जल्दी में क्यों है? इस पर विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने स्पष्ट किया कि सत्र की अवधि बिज़नेस एडवाइजरी कमेटी की सर्वसम्मति से तय हुई है। इसके बाद मुख्यमंत्री फडणवीस ने पटोले पर पलटवार करते हुए कहा कि जब नाना पटोले पिछली महा विकास अघाड़ी सरकार में स्पीकर थे, तब विधानसभा केवल 3–4 दिन ही चलती थी, जबकि उनके कार्यकाल में नागपुर में सबसे लंबे विंटर सेशन आयोजित हुए हैं। फडणवीस ने कहा- आपके स्पीकर रहते सत्रों का औसत समय चार-पांच दिन था। सबसे लंबे विंटर सेशन सिर्फ़ मेरे मुख्यमंत्री रहते हुए हुए हैं। सीएम ने यह भी स्पष्ट किया कि पहले दिन सप्लीमेंट्री डिमांड्स व सरकारी बिल पेश करना नियमों के तहत है। सरकार की ओर से यह भी कहा गया कि निकट भविष्य में स्थानीय निकायों के चुनावों की आचार संहिता लागू होने की संभावना को ध्यान में रखते हुए सत्र की अवधि निर्धारित की गई है। फडणवीस ने आश्वासन दिया कि आगे आने वाले वर्षों में शीतकालीन सत्र पूरा निर्धारित समय तक ही चलेगा। सत्र की शुरुआत में ही सरकार और विपक्ष के बीच हुई इस गंभीर बहस ने संकेत दे दिया है कि शीतकालीन सत्र राजनीतिक टकरावों व तीखी चर्चाओं से भरपूर रहने वाला है।




