हरियाणा के बाद महाराष्ट्र में भी राहुल गांधी का संविधान प्रेम लोकतंत्र दिखता रहा। कोल्हापुर में संविधान सभा को अपने संबोधन में शिवाजी संविधान दोनों को पूरक बताया। सच में तब भी एक विचाराधारा ने शिवाजी का राज्याभिषेक सिर्फ इसलिए नहीं कराया कि शिवाजी शुद्र रहे। तब काशी के विद्वान गागाभट्ट ने महाराष्ट्र में जाकर छत्रपति शिवाजी का राज्याभिषेक संपन्न कराया था। आज भी उन्हीं की विचारधारा जिसमें शूद्रों के प्रति अन्याय की प्रवृत्ति वाले जातिगत जनगणना नहीं कराना चाहते। शिवाजी के विचार थे सभी को साथ लेकर चलना, एकता और राष्ट्रीय अस्मिता की रक्षा करना। यदि शिवाजी के कार्यों जिनमें मुस्लिमों के प्रति नफरत के भाव नहीं थे। छत्रपति के सेनापति मुस्लिम ने बहुत जगह शिवाजी के आदर्शों की रक्षा की थी। राजा मानसिंह मुगल बादशाह अकबर के सेना पति रहे जबकि मुगलों की अधीनता स्वीकार नहीं करने वाले योद्धा महाराणा प्रताप का भी सेनापति मुस्लिम होने के बावजूद मुगलों से युद्ध किया और रानाप्रताप के शौर्य में चार चांद लगाता रहा। कोल्हापुर में शिवाजी महाराज की मूर्ति का अनावरण कर अगर राहुल गांधी कहते हैं शिवाजी के कृतित्व और सोच का प्रतिबिंब है भारतीय संविधान और आरएसएस तथा बीजेपी प्रतिपाल संविधान खत्म करने का कार्य करती है तो यह उनकी विचारधारा है जबकि कांग्रेस और इंडिया गठबंधन संविधान और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा की लड़ाई लड़ रहा है। संवैधानिक पदों पर ओबीसी, एससी, एसटी और आदिवासियों का प्रतिनिधित्व बेहद कम या जीरो है। राहुल गांधी उसी गैप को भरने के लिए जातिगत जनगणना कराने की भरपूर कोशिश में हैं। लोकसभा और राज्यसभा में जातिगत जनगणना का कानून बनाने का दावा भी है। चंद माह पूर्व स्थापित और स्वयं प्रधानमंत्री द्वारा उद्घाटित मूर्ति गिरने पर तंज किया और कहा जब हम शिवाजी महाराज के आदर्शों पर नहीं चलेंगे तो नियत साफ नहीं होने से मूर्ति लगाने का कोई भी औचित्य ही नहीं है। संविधान भी गरीबों दलितों के उत्थान और सभी लोगों को समान अधिकार देने की वकालत करता है। किसी से भी नफरत करने की इजाजत वैसे ही नहीं देता जैसे शिवाजी के विचार थे। घटना बताई जाती है कि शिवाजी के सैनिक एक मुस्लिम महिला को बंदी बनाकर शिवाजी के समक्ष प्रस्तुत किए तो पहले उन्होंने उस महिला को देखते ही कहा काश उनकी मां भी खूबसूरत होती तो वे भी सुंदर होते। इसी के साथ महाराज ने उक्त महिला को ससम्मान लौटाने की आज्ञा दी। जब बीजेपी समाज में नफरत का जहर फैलती है। मुस्लिमो की कपड़ो से पहचान बताती है तो वह शिवाजी की विचारधारा के विरुद्ध हो जाती है। महाराष्ट्र के ब्राह्मणों ने शुद्र कहकर शिवाजी के राज्याभिषेक से मना करते हैं जिसका अर्थ हुआ कि वे शूद्रों से नफरत करते रहे।शुद्र को राजा मानने से इंकार करते रह समान अधिकार की उपेक्षा की जो आज बीजेपी और आरएसएस करता है। राहुल गांधी सच ही तो कह रहे थे कि आरएसएस में मनोनयन किया जाता है। नियुक्ति की जाती है लेकिन उनके शुद्र एससी, एसटी, ओबीसी और आदिवासी कोई नहीं होता। संवैधानिक संस्थानों में भी इनकी भागीदारी न के बराबर है। सार्वजनिक संस्थान जिनमें आरक्षण लागू होने से वंचित तबके के लोगो को प्रतिनिधित्व मिला करता था प्रैवेताइज़ करने के बाद आरक्षण खत्म हो गया। यह गलत कार्य हुआ है। जो सरकारी उद्योग लोगों को रोजी रोटी देते थे वही व्यक्तिगत हाथों में देकर अन्याय किया गया। पूंजीवादी व्यवस्था शोषण की व्यवस्था है और शोषण की अनुमति न भारतीय संविधान देता है और न लोकतांत्रिक व्यवस्था ही है। स्पष्ट है बीजेपी ने सरकारी संस्थानों को बेचकर संविधान की उपेक्षा और लोकतंत्र की हत्या की है। संविधान खत्म करने के लिए दो तिहाई बहुमत की जरूरत होती है इसीलिए अब की बार चार सौ पार के नारे लगाए और दावे किए जाते थे चार सौ पार सीटें जीतने के लेकिन जनता जागरूक है। उसने सारे किए कराए और सोच पर पानी फेरते हुए वैसाखी पकड़ा दी।