Tuesday, December 2, 2025
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ईडी की बड़ी कार्रवाई: रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर और पाथ इंडिया ग्रुप के ठिकानों पर छापेमारी

मुंबई। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मंगलवार को विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) के तहत रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर द्वारा कथित अवैध विदेशी धन भेजने की जांच के सिलसिले में मुंबई और इंदौर में छह जगहों पर छापेमारी की।
इंदौर में पाथ इंडिया ग्रुप के ठिकानों पर रेड
सूत्रों के अनुसार, ईडी की टीमों ने इंदौर स्थित पाथ इंडिया ग्रुप के हेडक्वार्टर और निदेशकों के घरों पर भी छापा मारा। यह कंपनी टोल रोड प्रोजेक्ट्स और अन्य कार्यों में अनियमितताओं के आरोपों के चलते जांच के दायरे में है।
कंपनी के प्रबंधन में नितिन अग्रवाल (मैनेजिंग डायरेक्टर), निपुण अग्रवाल, सक्षम अग्रवाल, नीति अग्रवाल और संतोष अग्रवाल (डायरेक्टर) शामिल हैं। वहीं, आशीष अग्रवाल और आदित्य उपाध्याय स्वतंत्र निदेशक हैं। दिलचस्प बात यह है कि निदेशकों में से एक नीति अग्रवाल, अभिनेता अमिताभ बच्चन के साथ इंडियन स्ट्रीट प्रीमियर लीग (आईएसपीएल) में मुंबई टीम की सह-मालिक भी हैं।
अनिल अंबानी से जुड़े स्कैम का लिंक
अधिकारियों का कहना है कि यह छापेमारी अनिल अंबानी से जुड़े बैंक लोन स्कैम की व्यापक जांच का हिस्सा है। माना जा रहा है कि रिलायंस ग्रुप और पाथ ग्रुप के बीच कई कंस्ट्रक्शन एग्रीमेंट हुए थे, जिनके जरिए बड़े पैमाने पर लेन-देन हुआ होगा।
पिछली कार्रवाई का बैकग्राउंड
अगस्त में सीबीआई ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से जुड़े 2,000 करोड़ रुपये से अधिक के कथित धोखाधड़ी मामले में रिलायंस कम्युनिकेशंस (आरकॉम) और उसके प्रमोटर अनिल अंबानी से जुड़े ठिकानों पर छापेमारी की थी। बैंक ने पहले ही आरकॉम और अंबानी को ‘धोखाधड़ी’ घोषित कर दिया था, जब ग्रुप कंपनियों के बीच जटिल लेन-देन के जरिये लोन के दुरुपयोग का खुलासा हुआ।
ईडी ने अंबानी से पूछताछ भी की
इस महीने की शुरुआत में, ईडी ने 17,000 करोड़ रुपये के लोन धोखाधड़ी के एक अलग मामले में अनिल अंबानी से कई घंटों तक पूछताछ की थी। एजेंसी को उम्मीद है कि आने वाले दिनों में उन्हें फिर से तलब किया जाएगा।
दस्तावेज और डिजिटल सबूत जब्त
मंगलवार की कार्रवाई में ईडी अधिकारियों ने पाथ इंडिया ग्रुप और संबंधित कंपनियों के ठिकानों से अहम दस्तावेज, वित्तीय रिकॉर्ड और डिजिटल सबूत जब्त किए हैं।
एजेंसी को संदेह है कि बैंक लोन से निकाले गए फंड का दुरुपयोग मध्यस्थ कंपनियों और समझौतों के जरिए किया गया है।

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