Sunday, September 8, 2024
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संपादकीय:- बीजेपी में भगदड़ क्यों मची है?

बीजेपी जो केंद्रीय सत्ता में पूर्ण बहुमत में है। उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के अलावा अन्य राज्यों में भी डबल इंजन की सरकार है। एक तरफ नारा दिया जा रहा अब कि बार चार सौ बार। वहीं राजस्थान में पुराने भाजपाइयों को टिकट न देकर कांग्रेस से आए लोगों को टिकट देने से खुद बीजेपी कार्यकर्ता क्षुंब्ध होकर विरोध करने के लिए भाजपा कार्यालय पहुंच गए हजारों की संख्या में। कुछ ऐसे भी हैं जिन्हें लोकसभा का टिकट दिया गया लेकिन उन्होंने चुनाव लड़ने से ही इंकार कर दिया। कुछ पुराने विजेताओं के टिकट ही काट दिए गए। बीजेपी के फायर ब्रांड नेता जो पीलीभीत से सांसद हैं लेकिन उनका टिकट काट दिया गया है जबकि उनकी माता मेनका गांधी जो सुल्तानपुर से सिटिंग सांसद हैं को फिर टिकट दिया गया है। वे बेटे का टिकट काटे जाने से दुखी अवश्य हैं लेकिन बीजेपी के साथ प्रतिबद्धता से चुप हैं। वरुण गांधी खुद कहा करते हैं कि उन्हें जनता चुनती है तो उनकी समस्याएं सरकार तक पहुंचाना उनका फर्ज है। वे बीजेपी के सांसद रहते हुए भी किसानों मज़दूरों और युवाओं की बेरोजगारी का मामला उठाते हुए अपनी ही सरकार को कटघरे में खड़ा करते रहे हैं लेकिन हाई कमान को आलोचना पसंद नहीं है कि पार्टी एम रहते हुए कोई सरकार पर उंगली उठाए या आलोचना करे लेकिन वरुण गांधी तो एक सांसद और जनप्रतिनिधि होने के नाते जनता की समस्याएं उठाते रहे हैं। लोकतंत्र का यही तकाजा भी है। पुराने भाजपाई सुब्रह्मण्यम स्वामी सरकार विशेषकर मोदी के प्रबल आलोचक हैं। यही नहीं गाहे नेगाहे केंद्रीय सड़क और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी भी समय समय पर एक सच्चे प्रतिनिधि होने के कारण सरकार की नीतियों की आलोचना करते रहे हैं। अटल बिहारी वाजपेयी कहा करते थे किसी भी दल के सदस्य को उसकी पार्टी की सरकार की आलोचना करने का अधिकार है, यही तो पार्टी में जीवित लोकतंत्र की निशानी है। जीवंतता है लेकिन गुजरात लॉबी को आलोचना कत्तई पसंद नहीं है। बीजेपी में अंदरूनी लोकतंत्र खत्म कर दिया गया है। बाजपेयी कहा करते थे हममें अपनी आलोचना सहन करने की क्षमता और दूसरों की बात सुननी चाहिए। मतभेद हो मगर मनभेद नहीं लेकिन अब बीजेपी को मतभेद भी बर्दाश्त नहीं होता। यह तो तानाशाही है। पार्टी के भीतर लोकतंत्र नहीं होगा तो देश में लोकतंत्र की रक्षा कैसे होगी? अब तो इसी तानाशाही प्रवृत्ति के कारण बीजेपी का मदर संगठन अब बीजेपी को छोड़कर कांग्रेस को वोट देने का प्रचार करने लगा है खुले मंच से। अगर बीजेपी के पुराने कार्यकर्ताओं पर विपक्ष से आए लोगों को तरजीह दी जाती रहेगी तो भाजपा के लिए सक्रिय कार्यकर्ता ढूंढना मुश्किल हो जाएगा। लोकसभा की सभी सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा के बाद कुछ लोग बागी बनकर चुनाव लड़ेंगे और फिर भगदड़ मचेगी।

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