
संबंध जब बिगड़ते हैं तो रिश्तों में दरार आना स्वाभाविक ही है। मोदी ने अंतरराष्ट्रीय कानूनों को तोड़कर अमेरिका में अब की बार ट्रंप सरकार का नारा लगाया था। राष्ट्रपति दोबारा बनने पर ट्रंप मोदी से बेहद नाराज दिखे। उन्हें अपनी बगल में बिठाकर अनर्गल प्रलाप करने लगे थे। अडानी के ऊपर अमेरिकी कोर्ट में कई धाराओं में केस चल रहा है। अमेरिकी यात्रा में मोदी से अडानी के संबंध में सवाल पूछे जाने पर मोदी ने व्यक्तिगत मामला बताया था। पिछली बार जब ट्रंप की हार हुई थी तो अमेरिका यात्रा पर मोदी तत्कालीन राष्ट्रपति वायदन से मिले, लेकिन सद्भावना वश ट्रंप से मिलने तक नहीं गए। संभव है, कूटनीतिक मजबूरी रही हो जबकि ट्रंप ने घोषणा कर दी थी कि उनका मित्र मोदी उनसे मिलने आ रहे। इसके अलावा रूस से तेल खरीदी के बहाने भारत पर ट्रंप ने 50 प्रतिशत टैरिफ की घोषणा कर दी। जबकि चीन रूस से सबसे ज्यादा तेल खरीदने वाला देश है, लेकिन रेयर अर्थ और मैग्नेट अमेरिकी उद्योगों को चलाते रहने के लिए बेहद जरूरी होने से ट्रंप ने चीन पर भारी टैरिफ लगाने की हिम्मत नहीं जुटाई। बार-बार ट्रंप मोदी पर अपनी खीझ निकालते रहते हैं। सीजफायर का क्रेडिट नहीं मिलने से परेशान ट्रंप पागल हो चुके हैं। सन्निपात के रोगी की तरह कुछ भी बोलते रहते हैं। पाकिस्तान के साथ मुद्रा में सहयोगी होने और निजी व्यापारिक हित साधने के लिए जुड़े हैं ट्रंप। पाकिस्तान उनके लिए दुधारू गाय है। जिस तरह बीजेपी वही बोलती है जो पीएम मोदी बोलते हैं। बीजेपी की भाषा देखिए। एक भी बड़ा से बड़ा मंत्री पार्टी नहीं, मोदी लाइन से हटकर बोलने की हिमाकत नहीं कर सकता। डर लगता है कि कहीं उनके पीछे भी सीबीआई और ईडी नहीं लगा दी जाए। जेल न भेज दिया जाए। क्योंकि दूध के धुले वे भी नहीं हैं। कैग रिपोर्ट जिसे सार्वजनिक करने से रोक दिया गया, अगर सामने आ जाती तो कई लोगों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही भी संभव थी। वैसे सच तो यह है कि मोदी शाह लॉबी अपने खिलाफ जाने वाले को रास्ते से हटा देते हैं। जितने भी राजदार थे, प्रायः अब जीवित नहीं हैं। उसी तरह अमेरिका में भी ट्रंप के फैन भी हैं। ट्रंप सरकार के ट्रेड सलाहकार ने भारत के खिलाफ ब्राह्मण नाम लेकर हमला बोला है। नवारो ने भारत को चेताते हुए कहा कि ब्राह्मण रूस से सस्ता तेल खरीदकर महंगा बेचते और अरबों रुपए फायदा कमाते हैं, लेकिन कोई ऐसा ब्राह्मण व्यापारी ही नहीं है जो रूस से सस्ता तेल खरीदकर विदेश में महंगे मूल्य पर बेचा और अरबों रुपए कमाए। नवारो का बयान या धमकी भी कही जा सकती हैं, भारत में दूसरी जातियों द्वारा निशाना बनाने के लिए शस्त्र मिल गया है। विदेश के चतुर नेताओं द्वारा बोलने को ही सच मानने वालो के हाथ मुर्दे को एक लकड़ी मिल गई है। भारतीय भक्त और ब्राह्मण विरोधी ब्राह्मणों को यूरेशिया से आया विदेशी मानने का भ्रम पाल रखते हैं। देश के उन मूर्खों को जो अपने पिता को पिता नहीं कह सकते। उनकी बातों की उपेक्षा करते हैं, लेकिन जब कोई असत्य विदेशी बोल देता है तो उसे ही सच मान लेते हैं। ब्राह्मण विरोधियों का एक बड़ा अज्ञानी वर्ग भारत में है, जो न तो ब्राह्मण को जानता है, न बौद्ध को, न आंबेडकर को। धूर्त नेता एक बार जो झूठ बोल दिया उसे सच मान कर खुद को आंबेडकर वादी और बुद्ध वादी कहने लगता है। यही मूर्खों का वर्ग है जो तर्कशील नहीं है। सच झूठ में फर्क कर पाना उसकी बुद्धि बल में है ही नहीं। लकीर के फकीर बने ऐसे ब्राह्मणवाद कहकर विरोध करने वालों को इतनी भी बुद्धि नहीं कि यह जान सकें कि देश में एक भी ब्राह्मण तेल का आयात-निर्यात नहीं करता। उन्हें तो बस ब्राह्मण शब्द मिल गया है विरोध करने के लिए। उन महामूर्खों को इस बात का भी ज्ञान नहीं कि अंग्रेजी बोलने वाले विदेशी पूंजीपतियों को खासकर भारतीय ब्राह्मण कहते हैं। अब अमेरिकी पूंजीपतियों को ट्रंप के सलाहकार क्या कहते हैं, यह विद्वानों के लिए शोध का विषय अवश्य है। नवारो का इशारा निश्चित ही अंबानी की तरफ हो सकता है, जो रूस से सस्ता तेल खरीदकर रिफायनरी में साफ कर विदेश में महंगे दामों में बेचकर अरबों रुपए कमाए हैं। लेकिन ब्राह्मण विरोधियों में सोचने, समझने और तर्क करने की बुद्धि का सर्वदा अकाल पड़ा रहता है। बीजेपी के अंधभक्त सोशल मीडिया में जितना आसानी से अपने अपशब्दों, गलियों, हलाल की औलाद, मुगलिया होने जैसे शब्दों के लिखने से पहचाने जाते हैं, ठीक उसी तरह सोशल मीडिया में ब्राह्मणों के खिलाफ जहर उगलने वाले महा अज्ञानी महामूर्ख भी प्रचुरता से मिल जाएंगे।