
पहले अयोध्या में राममंदिर, अब काशी मथुरा की बारी है। ऐसे नारे बीजेपी और उसके सहयोगी संगठन बार बार लगाते रहते हैं और निचली अदालतें उसपर सर्वे का आदेश देती रहती हैं। बीजेपी के हिंदुत्व कार्ड में अब अजमेर दरगाह भी जुड़ गया है। किसी स्वनामधन्य भारतीय इतिहास के अग्यानी ने एक शिगूफा छोड़ दिया तो भाई लोग इस तरह दहाड़ मारने लगे जैसे चीन या पाकिस्तान के साथ जंग लड़ने जा रहे हैं।कहा जा रहा है कि विष्णु मंदिर के ऊपर अजमेर शरीफ दरगाह बनाई गई है।इसी तरह दुनिया का अजूबे ताजमहल को बहुत पहले पी एन ओक ने एक किताब लिखी थी, ताजमहल तेजों महल यानी शिव मंदिर या विष्णु ध्वज है। आज तो हर एक मस्जिद के नीचे किसी न किसी मंदिर के होने के दावे किए जा रहे है।वाराणसी स्थित ज्ञान वापी मस्जिद को काशी विश्वनाथ मंदिर से जोड़कर न्यायालय में अपील की गई। सर्वे हुआ।उसी तरह मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मस्थली पर कथित रूप से मस्जिद का निर्माण मुगल काल में किए जाने की बात कही जा रही है। जिसका मुकदमा सुप्रीम कोर्ट तक जा पहुंचा था। चलो मान लेते हैं। मुगल काल में हिंदू मंदिर उसी तरह तोड़े गए थे जैसे अयोध्या में राजपथ निर्माण के लिए लगभग बीस मंदिर तोड़े गए। काशी कारीडोर निर्माण के नाम पर वहां कई दर्जन पुराने हिंदू मंदिर तोड़ दिए गए। समूची दुनिया को पता है कि मुगलों ने कई मंदिर तोड़कर वहां मस्जिदें बनाई। राम जन्मभूमि स्थल की खुदाई की गई। वहां अनेक स्तंभ मिले। अब वे स्तंभ राम मंदिर के थे या जैन मंदिर के अवशेष कहा नहीं जा सकता। दावे चाहे जो हों परंतु तथ्य अलग है। माना कि अयोध्या के कई प्रचलित नाम हैं लेकिन खुदाई में ऐसा कोई प्रमाण नहीं मिले कोचिख चीख कर राममंदिर के अवशेष ही हैं।संभव है जैन मंदिर के अवशेष रहे है। जिसकी लड़ाई सुप्रीमकोर्ट तक फैसला आने तक हुई। जिसमे केवल दो पक्षकार मूल रूप से हिन्दू संगठन और मुस्लिम संगठन रहे हों। सोशल मीडिया में अभियान चलाया जा रहा है जिसमें पाली को संस्कृत से पूर्व की भाषा कही जा रही। कल अगर बौद्ध मतावलंबी सारे मंदिरों मठों चर्चों मस्जिदों के सर्वे का कोर्ट में दावा करें और कोर्ट आदेश दे दे तो पुरातत्व विभाग जब खुदाई करने लगेगा तब बुद्ध कालीन लिपियों पाली उसके पूर्व की प्राकृति भाषाओं के चिन्ह अवश्य मिलेंगे। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अनेक हिंदू देवताओं की फोटो ऐसी लगती हैं जैसे महात्मा बुद्ध की प्रतिमा में ही क्यों फेर कर कहीं हनुमान और कहीं अन्य देवी देवताओं की मूर्ति दिखती है। जब पुरातात्विक खुदाई में मालूम होगा कि सारे हिंदू देव मंदिर मस्जिद बुद्ध बिहार पर बने हैं। बनिहाल अफगानिस्तान में पूरे पहाड़ पर सैकड़ों बुद्ध प्रतिमाएं घड़ी हुई आज भी मिलती हैं। देश की अधिकांश गुफाएं बुद्ध कालीन अथवा उसके बाद अशोक कालीन बनी हैं। जब यह सिद्ध हो जायेगा कि मंदिरों पर मस्जिदें बनी होने के साथ में यह भी कि सारे मंदिर और कुछ नहीं बुद्ध बिहार के परिवर्तित रूप ही हैं। यहां तक कि सोमनाथ मंदिर के नीचे तीन महल होने की बात कही जाती है लेकिन पुरातत्व विभाग को खुदाई का आदेश ही नहीं मिलता। अहम सवाल यह कि ईश्वर प्रदत्त या निर्मित मनुष्यों को गुलाम बनाए रखने वाले सत्ता लोलुप यह बताए कि जब सारे मंदिर बुद्ध बिहार रहे हैं तो किस मंदिर की बात करेंगे?