
कांग्रेस नेता और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी को पप्पू साबित करने के लिए भले ही बीजेपी ने करोड़ों रुपए फूंक डाले, परन्तु बना नहीं पाए। उन्हें शहजादा और विदेश घूमने वाला, या ननिहाल चले जाने के आरोप लगाए जाते रहते हैं। विदेशी धरती पर राहुल गांधी जब भारतीय लोकतंत्र और संविधान कुचले जाने की बात कहते हैं, तो उन्हें देश को बदनाम करने वाले देशद्रोही तक कहने वाले भूल जाते हैं कि पीएम मोदी ने आधा दर्जन भर विदेश में भारत, सरकार और भारतीयों को बदनाम कर अपने पिछले जन्म के पाप से भारत में जन्म होने का शोक जताया था। राहुल गांधी एम फिल हैं। इसी कारण जहां से वे शिक्षा प्राप्त किए हैं, वहां के उस कॉलेज द्वारा भाषण देने के लिए आमंत्रित किया जाता है। प्रेस के सामने बेबाकी से राय रखने के लिए जाने जाते हैं राहुल गांधी। वंशवाद का आरोप लगाने वाले यह भूल जाते हैं कि जवाहरलाल नेहरू आजादी की लड़ाई में वर्षों जेल में रहे। इंदिरा गांधी और राजीव गांधी राष्ट्र के लिए शहीद हुए थे। संसद में उनके टी शर्ट पहनने पर स्पीकर लेक्चर देते समय भूल जाते हैं कि संसद का कोई ड्रेस कोड तय नहीं है। उसी टी शर्ट को पहनाकर राहुल गांधी ने दक्षिणी छोर से भारत जोड़ो पद यात्रा शुरू करके कश्मीर तक भीषण ठंड में जाने वाले राहुल गांधी देश की माटी से बने हैं। देशप्रेम और संविधान के प्रति गहरी निष्ठा वाले राहुल गांधी जब लोकसभा में बोलते हुए सत्ता पर सवाल उठाते हैं, तो कभी माइक, कभी कैमरा बंद और स्पीकर टोका-टोकी शुरू कर देते हैं। जैसे सत्ता पर हमला, स्पीकर पर हमला हो। राहुल गांधी ने चुनाव आयोग से डिजिटल वोटर लिस्ट मांगी थी, तो सैकड़ों पन्ने थमा दिए गए। छः महीने तक उनकी टीम ने अध्ययन किया और तब वोटो की चोरी पकड़ में आई। मध्यप्रदेश के एक ही पते पर ढाई सौ वोटर, बंगाल, बिहार के एक छोटे से घर में सैकड़ों वोटर। उनके सरनेम मुस्लिम, ठाकुर या और सहित मिले हैं। कुछ वोटर्स एक ही राज्य में कई-कई बूथों के साथ-साथ दूसरे राज्यों में भी वोटर होने के प्रमाण मिले। सोचा जा सकता है कि राहुल गांधी की टीम ने छः महीने अनवरत कितनी मेहनत की होगी। एक घंटे से अधिक समय तक राहुल गांधी ने प्रजेंटेशन देकर सारे सबूत मीडिया और अन्य लोगों के सामने प्रमाणित कर दिया कि सच में चुनाव आयोग वोटो की चोरी करता है। महाराष्ट्र में एक ही वर्ष में कई लाख वोटर बढ़वाने की बात हो या बिहार में SIR के तहत छत्तीस लाख वोटरों के नाम वोटर लिस्ट से काटे जाने का मामला हो, स्वतंत्र पत्रकारों ने जांच में सही पाए। यहां तक कि प्रसिद्ध डेली न्यूज पेपर भास्कर ने भी पड़ताल में राहुल गांधी के आरोपों को सही साबित किया है। प्रसिद्ध स्वतंत्र पत्रकार अजीत अंजुम ने बिहार में SIR के तहत वोटर लिस्ट में हेरा-फेरी को छुपे कैमरे में कैद कर लिया, जिसमें साफ देखा और सुना जा सकता है कि ऑफिस में बैठकर बीएलओ फॉर्म में सिर्फ नाम लिखते हुए देखे गए। यहां तक कि बिना किसी प्रमाण के फॉर्म पर सिर्फ नाम लिखकर, बिना पिता या पति का नाम लिखे वोटरों के हस्ताक्षर खुद करते रहे। जबकि नियमानुसार हर घर जाकर बीएलओ को सत्यापन करना होता है। तमाम ऐसे लोग ऑन कैमरा सामने आकर कहा है कि उन्होंने फॉर्म भरे ही नहीं, बीएलओ ने खुद फॉर्म भरा और हस्ताक्षर भी खुद कर लिए। एक वोटर ने ऑन कैमरा अपने मोबाइल पर चुनाव आयोग द्वारा भेजे गए कई संदेश दिखाते हुए बताया कि उनके माता-पिता की मृत्यु पांच-छः साल पहले हो चुकी थी, लेकिन आज भी उनके नाम वोटर लिस्ट में दर्ज हैं। बाद में चुनाव आयोग ने वीडियो जानकारी में आने के बाद हटा दिया। यहां तक कि केंद्र सरकार में मंत्री गिरिराज सिंह के नजदीकी रिश्तेदार ने अपने मृतक माता-पिता के नाम वोटर लिस्ट में देखे थे, लेकिन चुनाव आयोग को उनका वीडियो संदेश मिलने के बाद नाम कट दिए गए। किसी घर में सौ, किसी में ढाई सौ तो किसी में एक सौ अस्सी वोटर मिलना क्या कहा जायेगा? यहां तक कि मकान संख्या जीरो में भी कई वोटरों के नाम मिले। राहुल गांधी ने दावा किया कि कर्नाटक के केवल एक विधानसभा क्षेत्र में लाख से ऊपर फर्जी मतदाताओं के नाम जुड़े हैं। इसी तरह देश में भी चुनाव आयोग खेल करके लोकतंत्र खत्म कर रहा है। राहुल गांधी द्वारा चुनाव आयोग के वोटो की चोरी करने का प्रजेंटेशन देने के बाद, चुनाव आयोग ने कई राज्यों की वेबसाईट ही बंद कर दी हैं। आरोप है कि आयोग फाइल ही डिलीट कर सारे प्रमाण मिटाने में लगा हुआ है। राहुल गांधी ने वोटो की चोरी का मामला सांसद में भी उठाया था। स्मरणीय है कि हरियाणा और उसके बाद महाराष्ट्र और दिल्ली में तमाम पर्यवेक्षक बता रहे थे कि तीनों राज्यों में बीजेपी हार रही है, फिर आकस्मिक जीत कैसे मिली? दिल्ली, हरियाणा, महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव के बाद लाखों की संख्या में वोटर बढ़ाए जाने की चर्चाएं होती रहीं। हरियाणा में ईवीएम 99 प्रतिशत चार्ज मतगणना के समय कैसे रहे, जबकि तमाम ईवीएम सत्तर प्रतिशत ही चार्ज थे। जिन क्षेत्रों में 99 प्रतिशत चार्जिंग वाले ईवीएम मिले, उसमें 90 प्रतिशत वोट बीजेपी को कैसे गए? अंतिम घंटे में महाराष्ट्र में अपेक्षा से कई गुना अधिक वोट पड़ने पर संदेह उत्पन्न हुआ था। अब जब राहुल गांधी ने प्रजेंटेशन में सच बता दिया, तो चुनाव आयोग ने उनसे शपथपत्र भरकर लिखित देने का नोटिस भेज दिया। संसद सदस्य समाधान की शपथ लेते रहे हैं। संविधान की शपथ लेने वाले बखूबी जानते हैं कि झूठे आरोप लगाने पर देशद्रोह का केस हो जाएगा। सबसे बड़ी बात यह कि चुनाव आयोग ने ईवीएम के प्रयोग बीजेपी को जिताने के लिए करता है। राहुल गांधी चुनाव आयोग पर आरोप लगाते हैं, तो मोदी सरकार जवाब देने को उतावली क्यों है? आखिर चुनाव आयोग से सवाल करने पर बीजेपी क्यों तिलमिला रही है?