लोकतांत्रिक व्यवस्था में जनता की मूल भूत सुविधाएं रोटी कपड़ा मकान तक सिमट जाना लोकतंत्र का अपमान है।जनता को उसके मूल भूत अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता। सरकार ने नौ वर्षों में विदेश से एक सौ पचास लाख करोड़ का कर्ज लिया है जबकि पैसठ वर्षों में सभी सरकारों ने मात्र पंचपन लाख करोड़ के कर्ज लिए थे। चिंता की बात यह कि सरकार विदेशी कर्ज लेकर मुफ्त की रेवड़ी बांटकर वोट बैंक बना रही है और सत्ता में बने रहने किए ज़रूरी मानती है। सरकार हाथी जैसी है। उसके खाने और दिखाने के दांत अलग अलग हैं। अर्थव्यवस्था चिंतनीय अवस्था में है। वह अपने आर्थिक विकास का ढिंढोरा जरूर पीट रही। विदेशी संस्थानों को वह फर्जी विकास दिखाती है।
चंद पूंजीपतियों पर मेहरबान होकर उन्हें दुनिया का सबसे बड़ा धनी बनाने में अपने सारे संसाधन झोंक देने, उसकी संपत्ति दिन दूनी रात चौगुनी बढ़ने, चंद पूंजीपतियों के पच्चीस लाख करोड़ बैंक कर्ज माफ कर देने से राष्ट्र विकास नहीं करता। राष्ट्र का विकास जनता की आत्मनिर्भरता से होता है। पांच किलो अनाज देने, किसानों को चंद सिक्के बांटने से नहीं होता। किसानों पर कुल कर्ज तीन लाख करोड़ है। उसे माफ नहीं किया जायेगा मित्र पूंजीपतियों को पच्चीस लाख करोड़ की माफी सरकार की मंशा पर सवाल उठाती है। इलेक्ट्रोरल बॉन्ड के जरिए लाखों करोड़ कालेधन का चंदा लेने से राष्ट्र की उन्नति नहीं होती। राष्ट्र उन्नति तब करेगा जब जनता को निशुल्क शिक्षा प्रशिक्षण यानी केजी से पीजी तक निशुल्क शिक्षा, निशुल्क चिकित्सा सुविधा हर नागरिक को देने, सभी को रोजगार के संसाधन उपलब्ध कराने से होगा राष्ट्र का विकास। सरकार को पूंजीपतियों के विकास नहीं जनता के विकास को प्राथमिकता देनी होगी लेकिन सरकार नहीं देगी। उसे लाखों करोड़ चंदा चाहिए। विज्ञापन के लिए अरबों चाहिए तो विकास कैसे होगा? लोकतंत्र को मजबूत बनाने के लिए आम जनता को मजबूत और आत्मनिर्भर बनाना होगा। चंद सिक्के, पांच किलो अनाज श्रम करने वाले हाथों को कामचोर और मुफ्तखोर ही बना रही फिर कैसे होगा राष्ट्र का विकास? एक करोड़ सरकारी नौकरी केंद्र सरकार के विभागों में रिक्त है। उन्हें क्यों नहीं भरा जाता। आर्मी में दस हजार अधिकारियों की कमी है। कैसे चीन और पाकिस्तान का युद्ध में मुकाबला करेगी सेना? सच कहा जाय तो सेना का मनोबल टूट चुका है लेकिन सरकार चीन के साथ गलबहियां करने में व्यस्त है। भले ही अरुणाचल प्रदेश में उसने सौ गांव बसा लिए हों हमारी धरती पर और लद्दाख में हजारों वर्ग किलोमीटर हमारी भूमि पर कब्जा कर लिया हो लेकिन पीएम कहें न कोई घुसा है न कोई घुसेंगा, कैसे चलेगा। याद हो कि विस्तारवादी साम्राज्यवादी चीन वह देश है जो एक तरफ हाथ मिलता है तो दूसरी तरफ पीठ में खंजर चुभता है। नेहरू ने हिंदी चीनी भाई भाई का नारा दिया। चीन ने हमला कर हजारों वर्ग किलोमीटर हमारी भूमि पर कब्जा कर लिया लेकिन पीएम इतिहास से सबक नहीं ले रहे। चीनी आरएसएस के मुख्यालय आते हैं। पीएम चीन का नाम लेने से डरते हैं कहीं लोकसभा चुनाव पूर्व चीनी हमले की साजिश तो नहीं।कैसी दुराभी संधि कर रही सरकार?