Sunday, September 8, 2024
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संपादकीय:- भीड़ का न्याय-अन्याय!

आज के दौर में, भीड़ का न्याय और अंधभक्ति हमारे समाज में बढ़ती समस्या बन गई है। योगी आदित्यनाथ की बुलडोजर न्याय शैली से प्रेरित होकर, भीड़ ने हाल ही में एक दुकान लूट ली। भीड़ के पास न तो सिद्धांत होते हैं और न ही नियम। यह भीड़ बिना किसी तर्क और बुद्धि के निर्णय लेती है, और अगर मामला धार्मिक होता है, तो वह और भी कट्टर हो जाती है। पिछले दस वर्षों में बीजेपी सत्ता द्वारा भीड़ को धर्म के नाम पर जितना गुमराह किया गया उतना पिछले तमाम वर्षों में कभी नहीं किए गए थे।बीजेपी के शीर्ष नेता मोदी ने खुद हिंदू मुस्लिम, मंदिर मस्जिद कहकर समाज में इतना अधिक जहर फैला दिया कि अंधभक्त पागल और वहशी हो चुके हैं। धर्म यद्यपि बीजेपी द्वारा परिभाषित पहले हिंदू धर्म और कालांतर में सनातनधर्म का इतना पाखंड किया गया कि बुद्धिहीन जनता विशेषकर युवा वर्ग जो बेरोजगार है। उसका बस एक ही काम है सोशल मीडिया में मां बहन को गाली देते रहना। देश के 99.0099 प्रतिशत जानते ही नहीं सनातन धर्म क्या है? बस सनातनशर्मके नाम पर सनातनी बनने की होड़ मची हुई है। वास्तविकता यह है कि धर्म के नाम पर अधर्म की अफीम चटाकर अंधश्रद्धा और अंधभक्ति का अज्ञान मस्तिष्क में एक साजिश के तहत भरा जा रहा। घटना मंगलवार की हिमाचल प्रदेश की है जहां एक मुस्लिम दुकानदार ने अपने स्टेट्स में जबह करने की फोटो शेयर किया था। बकरे की बलि देना मुसलमानों द्वारा बकरा ईद नाम से ही पता चलता है बकरे की कुर्बानी मुस्लिम देते हैं। हिंदू भी अक्सर काली मंदिर में पहले भैंसे की बलि दिया करते थे। हिंदुओं में मांसाहारी लोग बकरा या मुर्गा की बलि देते और खाते हैं। अपने देश में बहुत सारे लोग बीफ भी यानी गाय का मांस खाते हैं। नेताओं के मुंह से अक्सर सुना जाता है। एक पार्टी ने तो केरल में बीफ सप्लाई का बकायदे वादा भी किया है। हां तो बात हिमाचल प्रदेश में बकरे की कुर्बानी की फोटो अपने स्टेट्स में क्या लगा दी। अति वादी हिंदू युवक इकट्ठे होकर उस मुस्लिम की दुकान ही लूट ली।
फिल्में समाज का दर्पण होती है। काली को भैंसे की बलि देने में प्रथम होने की चाहत में दो ठाकुर घराने में रक्तपात भी हुआ है।याद करिए उस फिल्म को जिसमें दो सीने स्टार आमने सामने हो चुके है। बहरहाल धर्म और धार्मिक सिंबल व्यक्तिगत है। उस मुस्लिम ने देखा जाए तो कोई गलती नहीं की थी बकरे की कुर्बानी देने की फोटो लगाकर।और भीड़ ने क्या किया? क्या मुस्लिम होने का दंड उसकी दूकान लूटकर दिया जायेगा? लगता है अब आगे भविष्य में भीड़ ही खुद न्याय करने लगेगी। जंगल राज में यही होता है। उसके खिलाफ कोर्ट में जाना चाहिए था न कि खुद वादी पुलिस वकील और न्यायाधीश बनकर निर्णय दे। वास्तव में ये हिंदुओं की भीड़ ने अराजकता फैलाई।वे योगी आदित्यनाथ द्वारा न्याय करने के लिए जो बुलडोजर संस्कृति चलाई और उत्तर प्रदेश से वाया हरियाणा जहां मुसलमानों के घर दुकान तोड़ी गई, राजस्थान और मध्यप्रदेश तक जा पहुंची। जब सरकार खुद वादी, पुलिस, वकील और जज का रोल करके खुद फैसला करने लगेगी तो समाज उन्हीं का अनुकरण करता है। हिमांचप प्रदेश में कानून अपने हाथ में लेकर जिस तरह दुकान लूटी भविष्य बेहद कालिमा युक्त दिखता है। भीड़ को न्याय करने का कौन सा कानूनी और नैतिक अधिकार मिला था जो अराजकता पर उतरकर संख्या बल का प्रदर्शन कर कानून तोड़ा है। यदि संख्या बल को ही प्रोत्साहित किया जाता रहा तो निकट भविष्य में गृहयुद्ध होने से कोई सरकार रोक नहीं सकेगी।

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