हमारे देश के यशस्वी और विश्व गुरू प्रधानमंत्री का घोष वाक्य है कर्ज लेकर घी पीयो। अब इस आदर्श वाक्य को देखें तो पीएम मोदी देश के पहले पीएम हैं जो कर्ज लेकर घी पीने वाले हैं। देश पर इस समय 206 लाख करोड़ का विदेशी कर्ज है। जबकि 65 वर्षों में सभी दलों के प्रधानमंत्रियों ने मात्र 55 लाख करोड़ का कर्ज लिया था जिस कारण प्रति व्यक्ति कर्ज उसकी आय से अधिक हो चुका है। देश जहां 80 करोड़ लोग 5 किलो राशन पर जीने को मजबूर किए जा रहे हैं वहीं पीएम मोदी का खर्च देखें। मोदी जिस विमान में उड़ते हैं उसकी कीमत ही आठ लाख करोड़ है। मोदी के एक दिन का व्यय 1.17 करोड़, मीडिया को 12 अरब रूपये देकर गुलाम बनाया गया,छवि घड़ने के लिए। कारों की कीमत अस्सी करोड़,चश्मा 24000 रुपए,पेन डेढ़ लाख की, जिससे कभी लिखते देखा नहीं गया।दिन भर में चार बार ड्रेस बदलने वाले मोदी ने अकेले 150 लाख करोड़ का विदेशी कर्ज देश पर थोप दिया जो प्रति व्यक्ति आय से अधिक कर्ज है। 8 कारों का काफिला मूल्य अस्सी करोड़ है।मोदी का सारा खर्च पीएमओ उठाता है यानी जनता के पैसे बरबाद किए जाते हैं। मोदी ने जापान से कर्ज लेकर अटल सेतु बनवाए जिसमें मोटी मोटी दरारें एक साल में पड़ी। दर्जन भर के ऊपर पुल पानी में समाधि ले चुके हैं।सड़क कोई ऐसी नहीं जिसमें बड़े बड़े गड्ढे न पड़े हों। राममंदिर ऐसा जिसकी छत से पानी टपकने लगा।हवाई अड्डों की छतें जल प्रपात बन गईं। जिस वंदेभारत ट्रेन को हरी झंडी दिखाने दौड़ पड़ते रहे छत से पानी गिरने लगा।एक गरीब देश जहां 80 करोड़ लोगों को पांच किलो मुफ्त अनाज पर जीने को मजबूर किया गया। जहां मंहगाई चरम पर है। जहां नागरिकों को सत्तर प्रतिशत टैक्स देने पड़ते हों। ऐसे देश का प्रधानमंत्री मोदी बुलेट ट्रेन चलाने के लिए जापान से कर्ज लेते हैं जबकि अस्सी करोड़ जनता के लिए ट्रेन में मात्र एक जनरल कोच, पांच थ्री टियर कोच और बारह एसी कोच लगाकर गरीब 80 करोड़ लोगों का मजाक उड़ाया जा रहा हो। जहां बीस करोड़ लोग भूखे पेट पर कपड़ा बांधकर सोने को मजबूर हों। गरीबी, मंहगाई, बेरोजगारी चरम पर हो। ऐसे देश में जहां पूंजीपतियों के लिए ही सरकार बजट बनाती हो। जहां किसानों को खालिस्तानी, युवाओं को आतंकी,प्रबुद्ध वर्ग को अर्बन नक्सली बोला जाता हो। जहां शिक्षा चिकित्सा को गर्त में गिरा दिया गया हो। कुपोषण ज्यादा हो। भूख मरी में बांग्लादेश पाकिस्तान से नीचे हो। ऐसे देश का प्रधानमंत्री जनता के खून पसीने से कमाए धन पर वैभवशाली जीवन जीता हो, क्या वास्तविक प्रधानमंत्री कहा जाएगा जो मात्र दो पूंजीपतियों को ही समृद्ध बनाने के लिए काम करे। उनके फायदे और जनता का लहू चूसने की पूंजीवादी व्यवस्था लाए क्या वह गरीब राष्ट्र का प्रधानमंत्री हो सकता है? इसका जवाब जनता को ही देना चाहिए।