कहावत है नक्कारखाने में तूती की आवाज सुनाई नहीं देती। बहुमत के मद में बीजेपी सरकार ने संसद को नक्कारखाना बना दिया है जिसमें विपक्षी नेताओं की आवाज ही नहीं सुनी जाती। इंडिया गठबंधन के सांसद संसद की सीढ़ियों पर खड़े होकर नारे लगा रहे थे, गाली देने वाले भीतर, सवाल पूछने वाले बाहर। सही तो है बीजेपी सांसद ने बीएसपी सांसद के धर्म पर आघात किया। लोकसभा अध्यक्ष बिरला जी को शायद सुनाई ही नहीं दिया या फिर सत्तारूढ़ दल के होने के नाते भाजपाई स्पीकर कोई कायवाही ही नहीं करना चाहते। जिस ढंग से अपनी चेयर से उठकर चिल्लाते हुए उपराष्ट्रपति ने विपक्षी सांसद दीरेक को अपनी सीट पर बैठने का हुक्म सुनाया, जिस तरह चुन चुन कर विपक्षी सांसदों को सस्पेंड किया, क्या वह उपराष्ट्रपति की मर्यादा के खिलाफ नहीं है। लोकसभा में मोदी ने राहुल की नकल की वह भी अध्यक्ष को दिखाई नहीं दिया। सरकार विपक्ष बिना संसद पर कार्य कर रही। टीएमसी सांसद ने धनखड़ की मिमिक्री थी उनको दोषी नहीं मान रहे उपराष्ट्रपति बल्कि वीडियो बनाते राहुल गांधी को सद्बुद्धि मिलने की बात कहने लगे। विपक्षी सिर्फ संसद मे सिर्फ सुरक्षा चूक पर गृहमंत्री का जवाब चाहते थे। राष्ट्रीय सुरक्षा के मामले में चूक पर सरकार चर्चा क्यों नहीं करने को तैयार हुई? शायद डर था कि अन्य मुद्दे बेरोजगारी और महंगाई के कहीं मुद्दे न उठा से विपक्ष जिसका सरकार के पास कोई जवाब ही नहीं। इसलिए विपक्षी नेताओं पर शोर शराबा मचाने के मिथ्या आरोप लगाकर कुल 141 सांसदों को निलंबित कर सरकार ने लोकतंत्र के इतिहास को कलंकित किया है। रमेश चंद्र विडुडी को क्यों नहीं सस्पेंड किया गया? क्या सदन में बिधूड़ी की गालियां संसदीय मर्यादा का उल्लंघन नहीं थी? प्रताप सिम्हा ने उन व्यक्तियों को पास दिया था जिनकी गतिविधियां संदेहजनक रहीं। सांसद के पीए के पीछे छः महीने से पड़े थे आतंकी। गनीमत है कि रंगीन धुआं किया उन्होंने कोई बम नहीं फेंका न ही सदन में गोलियां ही चलाई। यदि उनके पास हथियार होते तो? राहुल गांधी पर दलाल या गोदी मीडिया दो न्यूज चला रही। एक मिमिक्री का वीडियो बनाना दूसरा संसद में जैसा कि, गोदी मीडिया आरोप लगा रही है कि आतंकी राहुल गांधी के पास कूदे थे। राहुल गांधी ने क्यों नहीं पकड़ा? यह भी तो कहा जा सकता है कि उन दोनों आतंकियों के निशाने पर कहीं राहुल गांधी तो नहीं हैं। अगला निष्कासन राहुल गांधी का होगा। राहुल गांधी पहले ही कह चुके हैं वे डरने वाले नहीं हैं।राहुल गांधी उस राष्ट्रप्रेमी परिवार के हैं जिसमे। राहुल गांधी की दादी इंदिरा गांधी और पिता राजीव गांधी का रक्त प्रवाहित हो रहा है।कायर रोज रोज मरते हैं जबकि बहादुर अपनी जिंदगी में सिर्फ एक बार मृत्यु का आलिंगन करते हैं। ऐसे परिवार की कीमत कोइ राष्ट्रभक्त ही कर सकता है। निश्चित ही राहुल गांधी सभी विपक्षी नेताओं में सबसे अधिक मुखर हैं इसलिए संसद में उनकी आवाज सुनाई नहीं पड़े इसलिए उन्हें भी अवश्य निलंबित किया जाना तय है क्योंकि डरी हुई सरकार सवालों के हमले झेलने को तैयार ही नहीं है। विपक्षी गठबंधन की चौथी बैठक हुई जिसे मोदी घमंडियां कहते रहते हैं। सच तो यह है कि सरकार डरी हुई है। खुद मोदी ने अपने मन का डर शब्दों में बयां किया है कि विपक्ष उनकी सरकार लोकसभा चुनाव पूर्व ही गिरा देना चाहता है। राहुल गांधी यदि सस्पेंड किए जाते हैं तो देशवासियों को तनिक भी आश्चर्य नहीं होगा।