मुंबई। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कॉरपोरेट पावर लिमिटेड और उसके प्रमोटरों, जयसवाल परिवार के खिलाफ चल रहे कथित बैंक धोखाधड़ी मामले के सिलसिले में 503.16 करोड़ रुपये की संपत्तियां अस्थायी रूप से कुर्क की हैं। यह कार्रवाई 24 अक्टूबर को धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के तहत की गई, जिसमें महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड और आंध्र प्रदेश में स्थित संपत्तियां शामिल हैं। कुर्क की गई संपत्तियों में बैंक बैलेंस, म्यूचुअल फंड, शेयर और जमीन शामिल हैं, जो कथित तौर पर कंपनी के प्रमोटरों से जुड़ी शेल कंपनियों के नाम पर हासिल की गई थीं। यह कुर्की आदेश कॉरपोरेट पावर लिमिटेड और इसके प्रमुख प्रमोटरों एवं निदेशकों—मनोज जायसवाल, अभिजीत जायसवाल और अभिषेक जायसवाल—के साथ-साथ अन्य सहयोगियों की संपत्तियों को लक्षित करता है। इस कार्रवाई की शुरुआत केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दर्ज की गई एफआईआर के आधार पर की गई। जांच तब शुरू हुई जब यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने एक शिकायत दर्ज कराई, जिसमें जायसवाल परिवार और अन्य प्रमोटरों पर बैंक के धन की हेराफेरी करने का आरोप लगाया गया। शिकायत के अनुसार, कंपनी ने ऋण प्राप्त करने के लिए परियोजना लागत विवरण में हेराफेरी की और बाद में अनधिकृत उद्देश्यों के लिए धन का दुरुपयोग किया, जिसके कारण यूनियन बैंक ऑफ इंडिया को 4,037 करोड़ रुपये का भारी वित्तीय नुकसान हुआ है। ईडी की जांच में यह भी सामने आया कि कथित अपराध की आय को म्यूचुअल फंड, शेयर, रियल एस्टेट और शेल कंपनियों में निवेश किया गया था। इस हालिया कुर्की के साथ, मामले में जब्त की गई कुल संपत्ति अब लगभग 727 करोड़ रुपये हो गई है। इससे पहले, एजेंसी ने नागपुर, कोलकाता और विशाखापत्तनम सहित कई स्थानों पर तलाशी अभियान चलाकर आपत्तिजनक दस्तावेज़ भी जब्त किए थे। ईडी की यह जांच कॉरपोरेट पावर लिमिटेड और उसके सहयोगियों द्वारा किए गए कथित वित्तीय कदाचार की गहराई और जटिलता को उजागर कर रही है। यह मामला न केवल शामिल संपत्तियों के विशाल मूल्य के कारण महत्वपूर्ण है, बल्कि इसके तहत सामने आए जटिल वित्तीय नेटवर्क के कारण भी महत्वपूर्ण है। ईडी की जांच जारी है, जिसमें अतिरिक्त संपत्तियों का पता लगाने और कॉरपोरेट पावर लिमिटेड से जुड़ी मनी लॉन्ड्रिंग और फंड डायवर्जन गतिविधियों की पूरी सीमा को उजागर करने का प्रयास किया जा रहा है।