
मुंबई। उच्च व तकनीकी शिक्षा मंत्री चंद्रकांतदादा पाटिल ने कहा है कि पद्म विभूषण डॉ. रघुनाथ अनंत माशेलकर का विज्ञान, शिक्षा और नवाचार के माध्यम से समाज में असमानता दूर करने का कार्य युवा पीढ़ी के लिए अत्यंत प्रेरणादायी है। उन्होंने कहा कि डॉ. माशेलकर ने इंसानियत की भलाई का जो वैश्विक संदेश दिया है, वह आज के समय में और भी प्रासंगिक हो गया है। इंटरनेशनल ह्यूमन इंटीग्रेशन डे के अवसर पर इटरनल कॉर्पोरेट मीडिया प्राइवेट लिमिटेड और इंस्पायरिंग इंडिया के संयुक्त तत्वावधान में ताज महल पैलेस, कोलाबा में आयोजित कार्यक्रम में डॉ. रघुनाथ माशेलकर और सुशील बोर्डे की पुस्तक “मोर फ्रॉम लेस फॉर मोर: इनोवेशन्स होली ग्रेल” का विमोचन किया गया। इस अवसर पर मंत्री चंद्रकांतदादा पाटिल के साथ कई प्रमुख हस्तियां मौजूद रहीं। कार्यक्रम में पद्म विभूषण प्रो. डॉ. एम.एम.शर्मा, रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के चेयरमैन एवं एमडी मुकेश डी. अंबानी, बजाज ऑटो के चेयरमैन नीरज बजाज, गोदरेज इंडस्ट्रीज ग्रुप के चेयरमैन एवं एमडी नादिर गोदरेज, मैरिको लिमिटेड के चेयरमैन हर्ष मारीवाला, काइनेटिक ग्रीन एनर्जी एंड पावर सॉल्यूशंस की फाउंडर और सीईओ सुलज्जा मोटवानी, इटरनल कॉर्पोरेट मीडिया के चेयरमैन कृपाशंकर तिवारी तथा एमडी व सीईओ आलोक तिवारी सहित उद्योग, शिक्षा और शोध जगत के कई गणमान्य लोग उपस्थित थे। मंत्री पाटिल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा प्रस्तुत नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को प्रभावी ढंग से लागू करने में डॉ. माशेलकर का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। उन्होंने बताया कि उच्च व तकनीकी शिक्षा में सुधार, नई शिक्षा नीति और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से जुड़ी राज्य की नीतियों के चलते महाराष्ट्र देश में सबसे आगे है। उन्होंने कहा कि डॉ. माशेलकर को मिली 54 डॉक्टरेट उपाधियां अपने आप में एक रिकॉर्ड हैं। एक साधारण पृष्ठभूमि से निकलकर विश्वस्तरीय वैज्ञानिक नेतृत्व तक का उनका सफर युवाओं के लिए मार्गदर्शक है। मंत्री पाटिल ने उम्मीद जताई कि भविष्य में डॉ. माशेलकर को नोबेल पुरस्कार और भारत रत्न जैसे सम्मानों से भी नवाजा जा सकता है। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मंत्री ने कहा कि राष्ट्र निर्माण के लिए इंटीग्रेशन, इनक्लूसिविटी और सामूहिक जिम्मेदारी बेहद जरूरी है। विज्ञान, शिक्षा और नवाचार गरीबी, असमानता और सामाजिक चुनौतियों से निपटने में अहम भूमिका निभाते हैं। उन्होंने कहा कि “असमानताओं के बावजूद समान अवसर” का विचार डॉ. माशेलकर की सोच का मूल है, जो युवाओं, स्टार्टअप्स, शोधकर्ताओं और नीति निर्माताओं के लिए प्रेरणा बनेगा। इस अवसर पर उन्होंने यह भी जानकारी दी कि महाराष्ट्र में जल्द ही जियो यूनिवर्सिटी की शुरुआत की जाएगी, जहां युवाओं को वैश्विक मंच पर प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए आधुनिक और नए कोर्स उपलब्ध कराए जाएंगे। कार्यक्रम में ‘द प्राइड ऑफ इंडिया डॉ. रघुनाथ माशेलकर’ कॉफी टेबल बुक और ‘दिव्य विज्ञान’ पुस्तक का भी विमोचन किया गया। अंत में डॉ. रघुनाथ माशेलकर ने अपने जीवन सफर को साझा करते हुए सभी उपस्थित लोगों का आभार व्यक्त किया।




