पुणे। महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री लाडकी बहिन योजना के दूसरे चरण का आगाज हो चुका है, जिसमें पहले चरण में 1.7 करोड़ महिलाओं के बैंक खातों में पैसे जमा किए गए थे। राज्य सरकार ने इस योजना का दायरा बढ़ाकर 2.5 करोड़ महिलाओं को इसमें शामिल करने का ऐलान किया है। विधानसभा चुनावों से पहले सत्तारूढ़ ‘महायुति’ गठबंधन के घटक- बीजेपी, शिवसेना, और एनसीपी इस योजना का बड़े पैमाने पर प्रचार कर रहे हैं। हालांकि, इसको लेकर महायुति में खींचतान भी शुरू हो गई है। हाल ही में दिए गए बयानों से साफ होता है कि महायुति में मुख्यमंत्री लाडकी बहिन योजना को लेकर मतभेद उभर आए हैं। शिवसेना और बीजेपी के कुछ नेताओं का मानना है कि अजित पवार अकेले ‘मुख्यमंत्री माझी लाडकी बहिन’ योजना का श्रेय ले रहे हैं। शिवसेना ने ‘लाडकी बहिन योजना’ के विज्ञापनों से मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का नाम हटाए जाने को लेकर एनसीपी और उसके मुखिया अजित पवार की आलोचना की है। महाराष्ट्र के आबकारी मंत्री शंभुराज देसाई ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा कि उनकी पार्टी इस मुद्दे को सहयोगी दलों के समक्ष उठाएगी। देसाई ने कहा कि योजना के पूरे नाम का उपयोग न करना प्रोटोकॉल के अनुरूप नहीं है और यह राज्य सरकार की योजना है, इसलिए इसमें सभी को साथ लेकर चलना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि इस संबंध में सीएम और डिप्टी सीएम से बात की जाएगी। महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए अजित पवार ने पिछले महीने ‘जन सम्मान यात्रा’ के नाम से अपनी पार्टी का जनसंपर्क कार्यक्रम शुरू किया है। पवार राज्य के वित्त मंत्री भी हैं और अपने हर कार्यक्रम में ‘लाडकी बहिन’ योजना का जिक्र कर महिला वोटरों को अपने पक्ष में करने का प्रयास कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि एनसीपी के ‘जन सम्मान यात्रा’ के दौरान इस्तेमाल किए जा रहे विज्ञापनों और अन्य प्रचार सामग्रियों में योजना का जिक्र सिर्फ ‘माझी लाडकी बहिन’ के रूप में किया जा रहा है। इसके अलावा, एनसीपी ने दो वीडियो भी जारी किए हैं, जिनमें लाभार्थियों को अजित पवार को धन्यवाद देते हुए दिखाया गया है। इस बीच, पुणे के जुन्नर में जब अजित पवार जन सम्मान यात्रा के लिए पहुंचे थे, तो स्थानीय बीजेपी नेताओं ने उनका विरोध किया था। बीजेपी कार्यकर्ताओं ने उनके काफिले को काले झंडे दिखाए और जोरदार नारेबाजी की। जुन्नर विधानसभा क्षेत्र की बीजेपी प्रमुख आशा बुचके ने आरोप लगाया कि अजित पवार गठबंधन धर्म का पालन नहीं कर रहे हैं और अपने सहयोगी दलों के नेताओं की अनदेखी कर रहे हैं। शरद पवार गुट की सांसद सुप्रिया सुले ने महायुति में लाडकी बहिन योजना को लेकर मचे घमासान पर निशाना साधते हुए कहा कि यह योजना लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद शुरू की गई थी और उन्होंने इस भाई-बहन के बंधन को 1500 रुपये का बांड बना दिया। उन्होंने यह भी कहा कि महायुति को प्यार और बिजनेस के बीच के अंतर का पता नहीं है, और महिलाओं को पैसे की नहीं बल्कि प्यार की जरूरत है।