Sunday, June 29, 2025
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२९ डिप्टी कलेक्टरों की प्रतिनियुक्ति रद्द, राजस्व मंत्री बावनकुले का बड़ा कदम— अब बहुत हो गया

मुंबई। महाराष्ट्र की शक्तिशाली राजस्व मशीनरी शुक्रवार को उस समय हरकत में आई जब राज्य सरकार ने एक ही झटके में २९ डिप्टी कलेक्टरों की प्रतिनियुक्ति रद्द कर दी। यह कार्रवाई राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले के निर्देश पर की गई, जिन्होंने अधिकारियों द्वारा आरामदायक शहरी जिलों में वर्षों तक जमे रहने पर गहरी आपत्ति जताई थी। राजस्व विभाग, जिसे जमीनी स्तर पर शासन की रीढ़ माना जाता है, भूमि विवादों, आपदा राहत, और तालुका/उप-विभागीय मजिस्ट्रेट जैसे संवेदनशील कार्यों का संचालन करता है। लेकिन विदर्भ और मराठवाड़ा जैसे दुर्गम क्षेत्रों में ४८ से अधिक प्रमुख पद खाली पड़े होने के कारण योजनाओं के क्रियान्वयन और प्रशासनिक सेवाओं में बाधा आ रही थी। इस पृष्ठभूमि में राज्य सरकार ने ऐसे २९ अधिकारियों को वापस बुलाया जो लंबे समय से मुंबई, पुणे और ठाणे जैसे ‘आरामदायक जिलों’ में प्रतिनियुक्ति पर कार्यरत थे। सूत्रों के अनुसार एक उच्च स्तरीय बैठक में मंत्री को जानकारी दी गई कि लगभग १४० अधिकारी प्रतिनियुक्ति पर हैं, जिनमें से कई ५ वर्ष से अधिक समय से अपनी मूल राजस्व सेवाओं से दूर हैं। इस पर असंतोष जताते हुए बावनकुले ने राजस्व के अतिरिक्त मुख्य सचिव राजेश कुमार को प्रतिनियुक्ति तत्काल रद्द करने के निर्देश दिए। उन्होंने सार्वजनिक रूप से कहा, ठ२९ अधिकारी पांच साल से अधिक समय से प्रतिनियुक्ति पर थे, यह स्वीकार्य नहीं है। हमें उन्हें फील्ड में चाहिए ताकि योजनाओं का लाभ अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे।ठ विदर्भ और मराठवाड़ा जैसे क्षेत्र, जहाँ अधिकारियों की सबसे अधिक जरूरत है, वहाँ तैनाती से बचने के लिए कई अधिकारी लंबे समय से प्रणाली का लाभ उठा रहे थे। लेकिन अब सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि यह ‘आराम की व्यवस्था’ ज्यादा दिन नहीं चलेगी। अधिकारियों को शहरी सुरक्षा और सुख-सुविधा छोड़कर अब फिर से जनता से सीधे जुड़ने वाले कार्यों में लौटना होगा। सूत्रों ने यह भी बताया कि एक दूसरे दौर की तैयारी चल रही है जिसमें करीब ४० वरिष्ठ अधिकारी, जो तीन साल से अधिक समय से प्रतिनियुक्ति पर हैं, उन्हें भी वापस बुलाया जा सकता है। राजस्व मंत्री व्यवस्था में न्यायसंगत संतुलन और फील्ड पोस्टिंग की अनिवार्यता बहाल करने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं। यह निर्णय राज्य प्रशासन को नए दिशा में ले जाने का संकेत है, जिसमें शहरी केंद्रों में लंबी तैनाती को समाप्त कर, पूरे राज्य में संतुलित और जवाबदेह प्रशासनिक उपस्थिति सुनिश्चित की जाएगी।

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