
मुंबई। मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक के महाप्रबंधक हितेश प्रवीणचंद्र मेहता पर झूठ पकड़ने वाले परीक्षण (Polygraph Test) की अनुमति मांगने के लिए किला कोर्ट में याचिका दायर की है। मेहता पर बैंक की प्रभादेवी और गोरेगांव शाखाओं से 122 करोड़ रुपये गबन करने का आरोप है। शुक्रवार को EOW ने आधिकारिक रूप से अदालत में आवेदन प्रस्तुत किया। यदि अदालत अनुमति देती है, तो मेहता पर परीक्षण किया जाएगा ताकि वित्तीय अनियमितताओं से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त की जा सके। यह पहली बार है जब आर्थिक धोखाधड़ी के किसी मामले में दो दशकों में किसी आरोपी पर इस तरह का परीक्षण किया जा रहा है।
बैंक के पूर्व अध्यक्ष हिरेन भानु, उनकी पत्नी और बैंक के उपाध्यक्ष सहित तीन अन्य व्यक्तियों को वांछित आरोपी घोषित किया गया है। उन्नाथन अरुणाचलम उर्फ अरुणभाई की गिरफ्तारी के लिए सूचना देने वाले को इनाम देने की घोषणा की गई है। मामला पहले दादर पुलिस ने दर्ज किया था, लेकिन बाद में इसे आर्थिक अपराध शाखा को सौंप दिया गया। हितेश मेहता और बिल्डर धर्मेश जयंतीलाल पौन को गिरफ्तार किया जा चुका है और वे न्यायिक हिरासत में हैं। मेहता ने कबूल किया कि 122 करोड़ रुपये में से 70 करोड़ रुपये बिल्डर धर्मेश पौन को और 40 करोड़ रुपये अरुणभाई को सौंपे गए। इस रकम का उपयोग कांदिवली के चारकोप इलाके में एसआरए (Slum Rehabilitation Authority) प्रोजेक्ट और अरुणभाई के सोलर पैनल व्यवसाय में किया गया था। हालांकि, बिल्डर धर्मेश पौन ने 70 करोड़ रुपये मिलने से इनकार किया और दावा किया कि उन्हें सिर्फ 2-3 करोड़ रुपये मिले, जिसे उन्होंने बाद में मेहता को लौटा दिया। आरोपियों के विरोधाभासी बयान जांच में भ्रम पैदा कर रहे हैं। धर्मेश पौन का आरोप है कि मेहता गलत जानकारी देकर पुलिस को गुमराह कर रहे हैं। इसीलिए मुंबई पुलिस ने मेहता पर झूठ पकड़ने वाली जांच कराने का फैसला किया है। परीक्षण में मुख्य सवालों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा, जैसे कि घोटाला कैसे और कब अंजाम दिया गया? इसमें कौन-कौन शामिल था? धन की हेराफेरी कैसे की गई? किसने और कितनी मात्रा में पैसा प्राप्त किया? मुंबई पुलिस अब अदालत के फैसले का इंतजार कर रही है। यदि कोर्ट अनुमति देती है, तो जल्द ही झूठ पकड़ने वाली जांच शुरू की जाएगी, जिससे इस हाई-प्रोफाइल वित्तीय घोटाले में बड़े खुलासे होने की उम्मीद है।