
नई दिल्ली। विपक्षी गठबंधन इंडिया ब्लॉक ने ‘वोट चोरी’ और मतदाता सूची में कथित हेरफेर के मुद्दे पर 11 अगस्त को संसद से चुनाव आयोग कार्यालय तक मार्च निकाला, जिसमें कांग्रेस नेता राहुल गांधी, समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव, प्रियंका गांधी वाड्रा, टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा सहित करीब 300 सांसद शामिल थे। मार्च के दौरान पुलिस ने संसद भवन से लगभग 1 किलोमीटर पहले ही बैरिकेड लगाकर प्रदर्शनकारियों को रोक लिया और कई नेताओं को हिरासत में ले लिया। इस दौरान राहुल गांधी और केसी वेणुगोपाल की पुलिस अधिकारियों से तीखी बहस हुई, जबकि अखिलेश यादव बैरिकेड लांघकर आगे बढ़े। महिला सांसदों ने सड़क पर धरना देकर विरोध जताया।
तनावपूर्ण माहौल और चोटिल सांसद
कांग्रेस सांसद संजना जाटव को चोट लगने पर उन्हें अस्पताल ले जाया गया। महुआ मोइत्रा और मिताली बैग गर्मी और उमस के कारण बेहोश हो गईं। सपा सांसद प्रिया सरोज ने मिताली बैग को संभाला, जबकि राहुल गांधी ने अपनी कार से उन्हें अस्पताल भिजवाया। हिरासत में लिए गए सांसदों को संसद मार्ग थाने ले जाकर कुछ घंटों बाद रिहा किया गया।
विपक्ष बिहार की विवादास्पद स्पेशल रिवीजन ऑफ वोटर लिस्ट (SIR) पर संसद में चर्चा की मांग कर रहा था, जिसे एनडीए सरकार ने अस्वीकार कर दिया। विपक्ष का आरोप है कि मतदाता सूची में अनियमितताओं के जरिए बीजेपी को लाभ पहुंचाने की कोशिश हो रही है। चुनाव आयोग ने इंडिया ब्लॉक को 12 बजे मिलने का समय दिया और केवल 30 सांसदों को बुलाया, जबकि विपक्ष सामूहिक बैठक चाहता था। इसी के विरोध में यह मार्च आयोजित हुआ।
एआईसीसी पदाधिकारी बीएम संदीप ने कहा, “यह राहुल गांधी बनाम मोदी की लड़ाई नहीं है, बल्कि हर नागरिक के वोट के अधिकार की लड़ाई है। साफ मतदाता सूची स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव की बुनियाद है। चंदन यादव ने आरोप लगाया कि भाजपा लोकतंत्र की नींव को कमजोर कर रही है और विपक्ष चुनाव आयोग से सभी चुनावी आंकड़ों की सॉफ्ट कॉपी सार्वजनिक करने की मांग कर रहा है, जिससे पारदर्शिता और आयोग की विश्वसनीयता बनी रहे। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस मुद्दे पर 12 अगस्त को रणनीति बैठक बुलाई है। पार्टी का कहना है कि ‘वोट चोरी’ के खिलाफ देशव्यापी आंदोलन जारी रहेगा और इसे रोका नहीं जा सकेगा।