
मुंबई। स्कूल शिक्षा विभाग विद्यार्थियों के कल्याण हेतु विभिन्न पहलों को गति दे रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में ‘सरकारी विद्यानिकेतन’ के माध्यम से मेधावी विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान की जा रही है और विद्यानिकेतन की प्रतिष्ठा बनाए रखने के लिए ठोस कदम उठाए जाएँगे, यह बात स्कूल शिक्षा मंत्री दादाजी भुसे ने विद्यानिकेतन के पूर्व विद्यार्थियों के संयुक्त सम्मेलन में बोलते हुए कही। तत्कालीन शिक्षा मंत्री मधुकरराव चौधरी की संकल्पना पर धुले, छत्रपति संभाजीनगर, पुसेगांव (सातारा), अमरावती और केलापुर (यवतमाल) में सरकारी विद्यानिकेतन आवासीय विद्यालय स्थापित किए गए थे। छात्रवृत्ति परीक्षाओं के माध्यम से प्रवेश पाने वाले मेधावी विद्यार्थियों को यहाँ गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दी जाती है। पूर्व विद्यार्थी विद्यालय को सुविधाएँ उपलब्ध कराने और विचार-विमर्श के माध्यम से सुधार की दिशा में निरंतर प्रयास करते हैं। 14 से 16 नवंबर तक पुणे के बंतारा भवन में पूर्व विद्यार्थियों का संयुक्त सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसमें मंत्री भुसे ने ऑनलाइन संवाद किया। मंत्री भुसे ने कहा कि विद्यानिकेतन की भौतिक एवं डिजिटल सुविधाओं को और बेहतर किया जाएगा। छात्रों के भोजन, कला, खेल और अन्य गतिविधियों में भी सुधार किए जाएँगे। विद्यालय की जरूरतों के समाधान के लिए अगले 15 दिनों में शासी मंडल की बैठक आयोजित की जाएगी। उन्होंने कहा कि सरकारी विद्यानिकेतन ने राज्य को अनेक जनप्रतिनिधि, अधिकारी और प्रसिद्ध व्यक्तित्व दिए हैं, और इनकी परंपरा शिक्षा जगत का गौरव है। उन्होंने बताया कि सरकार हर जिले में ‘सुपर 100’ आवासीय विद्यालय शुरू करने की योजना बना रही है, जहाँ 100 मेधावी विद्यार्थियों के लिए विशेष शिक्षा पद्धति लागू की जाएगी। खेल प्रतिभाओं को निखारने के लिए भी हर जिले में विशेष खेल स्कूल खोलने की योजना है। सभी विद्यार्थियों के स्वास्थ्य कार्ड बनाए जाएँगे और अभिभावकों की उपस्थिति में स्वास्थ्य जांच की जाएगी। छात्रों को जीवन कौशल सिखाने हेतु खेतों, बैंकों, अस्पतालों, औद्योगिक परियोजनाओं आदि का दौरा कराया जाएगा।
मंत्री भुसे ने कहा कि ‘राष्ट्र प्रथम’ की भावना के तहत पूर्व सैनिकों के सहयोग से स्कूलों में सैन्य प्रशिक्षण देने की योजना आखिरी चरण में है। सभी स्कूलों में मराठी भाषा और राज्यगान अनिवार्य कर दिया गया है। राष्ट्रगान के बाद ‘गरजा महाराष्ट्र माझा’ गाया जाएगा। चौथी और सातवीं की छात्रवृत्ति परीक्षा फिर से शुरू की गई है। केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय पाठ्यक्रम में छत्रपति शिवाजी महाराज के इतिहास को शामिल करने पर सकारात्मक रुख दिखाया है। अंत में, मंत्री दादाजी भुसे ने कहा कि शिक्षा को बढ़ावा देने और बच्चों को बुरी आदतों से दूर रखने के लिए धार्मिक और सामाजिक नेताओं का सहयोग लिया जाएगा। उन्होंने विद्यार्थियों और अभिभावकों से बेहतर सुझाव भेजने की अपील भी की।




