
मुंबई। मुंबई में उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने मंगलवार को मराठी फिल्मों को मल्टीप्लेक्स में स्क्रीन उपलब्ध न कराए जाने की समस्या पर गंभीर रुख अपनाते हुए इसके समाधान के लिए एक उच्चस्तरीय सरकारी समिति गठित करने की घोषणा की है। इस समिति को आगामी डेढ़ महीने में अपनी रिपोर्ट सौंपनी होगी। शिंदे ने स्पष्ट किया कि मराठी सिनेमा का संरक्षण और संवर्धन राज्य सरकार की प्राथमिकता है, और इसके लिए स्थायी उपाय किए जाएंगे। मंत्रालय में आयोजित इस महत्वपूर्ण बैठक में मराठी फिल्म निर्माताओं, वितरकों, मल्टीप्लेक्स मालिकों और सिनेमा से जुड़े संगठनों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। चर्चा में सामने आया कि मराठी फिल्मों को पर्याप्त शो नहीं दिए जाते, कई बार बिना पूर्व सूचना के तीन दिनों के भीतर फिल्में हटा दी जाती हैं, और एक सप्ताह का शुल्क लेने के बावजूद अवशेष राशि वापस नहीं की जाती। इसके अलावा, सेंसर बोर्ड से समय पर मंजूरी न मिलना और शो टाइम में अचानक परिवर्तन जैसी समस्याएँ भी प्रमुख रहीं। बैठक में सांस्कृतिक कार्य मंत्री एडवोकेट आशीष शेलार, चिकित्सा शिक्षा मंत्री हसन मुश्रीफ, पर्यटन मंत्री शंभूराज देसाई, परिवहन मंत्री प्रताप सरनाईक, वित्त राज्य मंत्री एडवोकेट आशीष जायसवाल, गृह राज्य मंत्री योगेश कदम सहित कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे। साथ ही, मनसे चित्रपट सेना के अमेय खोपकर, शिवसेना चित्रपट सेना के सुशांत शेलार, राष्ट्रवादी चित्रपट सेना के बाबासाहेब पाटिल, वितरक समीर दीक्षित, फिल्म निगम अध्यक्ष मेघराज राजेभोसले समेत उद्योग जगत के प्रमुख लोग उपस्थित थे। उपमुख्यमंत्री शिंदे ने कहा कि समिति में गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव अध्यक्ष होंगे। साथ ही अपील और सुरक्षा विभाग, शहरी विकास विभाग, सांस्कृतिक कार्य विभाग, परिवहन विभाग के सचिव, मराठी फिल्म जगत के निर्माता, वितरक, मल्टीप्लेक्स प्रतिनिधि, फिल्म सिटी और फिल्म निगम के प्रतिनिधि शामिल होंगे। सरकार इस समिति की सिफारिशों के आधार पर अंतिम निर्णय लेगी। शिंदे ने यह भी कहा, मराठी सिनेमा तब तक नहीं बचेगा जब तक उसके निर्माता नहीं बचते। सरकार की नीति मराठी सिनेमा को जीवित रखने की है। हम ऐसा स्थायी समाधान चाहते हैं जो निर्माता, वितरक और दर्शकों- सभी के लिए न्यायसंगत हो।