लेखक- जितेंद्र पाण्डेय
पर्दे के पीछे गुफ्तगू करके बड़े बड़े काम साधे जाते रहते है। अडानी और मोदी के बीच का रिश्ता परदे की आड़ में ही बना। दोनों ने कभी एक दूसरे का नाम नहीं लिया। लेकिन दोनों के बीच मधुर और गहरा संबंध जरूर है अन्यथा देश के सारे पोर्ट खदानें एयरपोर्ट और बहुत से उद्योग भला अडानी को कैसे मिलते? अब लगता है कि उद्योगपति पांच राज्यों के चुनाव परिणाम भांप चुके हैं। मुकेश अंबानी कोलकाता में ममता दीदी के कसीदे क्यों पढ़ते। बाजपेई जी को कोट करते हुए उन्होंने कहा, अग्नि स्वरूपा ममता दीदी सोनार बांग्ला बना रही हैं। पहले से ही मुकेश अंबानी पश्चिम बंगाल में कार्यरत हैं लेकिन उन्होंने बंगाल में दो हजार करोड़ इन्वेस्ट करने की घोषणा कर बीजेपी को सकते में डाल दिया हैं। वैसे भाजपा का केंद्र भी बीजेपी की संभावित हार और झोला उठाकर चलने को तैयार नहीं है अभी। बीजेपी शेष जानता है कि पांच राज्यों के चुनाव परिणाम उसके विरुद्ध जा रहे हैं। अगर यही हाल रहा तो 62 प्रतिशत वोट वाला विपक्षी संगठन बीजेपी को लोकसभा में हरा देगा और तब सत्ता के बाहर हो जाएगी बीजेपी। मोदी के चाणक्य कहें या मोदी दोनों ही सत्ता गंवाना नहीं चाहते कि कही हारने पर मुसीबत न खड़ी हो जाए। इसलिए इंडिया को तोड़ने के अंदर ही अंदर प्रयास करने लगे हैं। अंदरखाने की खबर है कि मायावती को तो पहले से ही गठबंधन से बाहर कर चुके अब पर्दे के पीछे ममता दीदी, शरद पवार और अखिलेश को तोड़ने के लिए पूरा जोर लगा रहे। देश जानता है कि अखिलेश यादव खासकर कांग्रेस से नाराज हैं। मध्यप्रदेश में अखिलेश ने अपने कई प्रत्याशी खड़े कर प्रचार भी किया। उसके बाद वे तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन के साथ वी पी सिंह की प्रतिमा के अनावरण में मुख्य अतिथि भी रहे। भाजपा शीर्ष की गणित है कि यूपी में कांग्रेस सपा बसपा अलग अलग चुनाव लडेगी तो बीजेपी को ज्यादातर लोकसभा सीटें मिलेंगी। शरद पवार से परदे के पीछे बात चलाई जा रही है ताकि शरद पवार अपने भतीजे अजीत पवार के साथ खड़े हों। अजीत पवार को मुख्यमंत्री बनाने का प्रलोभन भी दिया गया है। बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व महाराष्ट्र अघाड़ी को तोड़ने में लगा है। उसका विचार है कि शरद पवार भले ही भतीजे के साथ न आएं तो वे चुप होकर घर बैठ जाएं तब बीजेपी और शिंदे गुट के साथ अजीत पवार मिलकर लोकसभा का चुनाव लड़ेंगी। उद्धव गुट और कांग्रेस मिलकर भी लड़ेगे तो भी महाराष्ट्र की अधिकांश सीटों पर लोकसभा में बीजेपी जीत पाएगी। ममता बनर्जी के साथ भी गुप्त वार्ता के जरिए उन्हें मनाने की कोशिश की जा रही है ताकि दक्षिण की सीटों का नुकसान यूपी, महाराष्ट्र और बंगाल में पूरा कर लिया जाए। सारी बातें पोशीदा रखिजा रही थी और राहुल गांधी से छुपाने की तमाम कोशिशें उस समय बेकार हो गई। सारा गणित बिगड़ गया जब राहुल गांधी को पर्दे के पीछे बात होने की खबर लग गई। राहुल गांधी मझे हुए राजनेता की तरह इंडिया के घटक दलों की बैठक होने और फिर विशेष समिति की दिल्ली में बैठक की घोषणा कर दी। बीजेपी शीर्ष नेतृत्व इंडिया के 62 प्रतिशत वोट में सेंधमारी करना चाहता था लेकिन सारी योजना ही फ्लॉप हो है। अब आते हैं बीजेपी में भीतरी विखारव की तरफ। साफ हो गया है कि आरएसएस मोदी को बदलकर नितिन गडकरी को प्रायोजित करना चाहता है। गडकरी ने मोदी से अपनी नाराजगी का कई बार इजहार भी कर दिया है। पांच विधानसभाओं में बीजेपी की हार के बाद बीजेपी में भागमभाग मचेगी। डूबते जहाज में कौन सवारी करना चाहेगा? तमाम बीजेपी सांसद मोदी को छोड़ना चाहते हैं क्योंकि उनका दम मोदी राज में बहुत बार घुट चुका है। छत्तीसगढ़ में डॉक्टर रमन सिंह, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री चौहान और राजस्थान की वसुंधरा राजे सिंधिया को गुजरात लाबी ने बाहर सीमा रेखा के धकेल दिया है। वे मौका ढूंढ दे हैं मोदी से बदला लेने और अमित शाह को सबक सिखाने के लिए। मोदी शाह की जोड़ी ने उत्तरप्रदेश में योगी आदित्यनाथ को हटाने के लिए उपमुख्यमंत्री कुशवाहा की पीठपर बंदूक रखकर योगी को आउट करना चाहते हैं। कुशवाहा दूसरे ओबीसी विधायकों से संपर्क साध चुके हैं। बस विस्फोट करने की देर है। योगी सबकुछ देख सुन और समझ रहे हैं। योगी जब समझ जाएंगे कि उनसे मुख्यमंत्री पद छीन रहा है। संगठन और सरकार में असंतोष है ही। अपनी कुर्सी जाने पर योगी का हाथवाड़ उग्र होगा। वे भले ही बीस सांसद न जीता सकें लेकिन अपने बूते बीस सांसद हरा सकते हैं। ऐसे में आरएसएस योगी के साथ खड़ा हो जाएगा क्योंकि योगी जैसा हिंदूवादी उग्र नेता योगी के अलावा भाजपा में कोई दूसरा भीं है। पांच राज्यों में चुनाव प्रचार में भले मोदी शाह और बीजेपी अध्यक्ष नड्डा ने अपनी सारी ताकत झोंक दी थी लेकिन उग्रवादी हिंदू नेता के रूप में योगी की अधिक मांग रही है।