
मुंबई। सीबीआई मुंबई ने एक बड़े साइबर फ्रॉड मामले में फरार आरोपी नीरज को गिरफ्तार किया है। यह कार्रवाई विशेष खुफिया जानकारी और तकनीकी जांच के आधार पर की गई। जांच के अनुसार, 2 जुलाई 2025 को कई साइबर पीड़ितों से 3.81 करोड़ रुपये** की राशि एक म्यूल अकाउंट में जमा हुई। इसके बाद यह रकम देशभर में 100 से अधिक म्यूल अकाउंट** में ट्रांसफर कर दी गई। इससे पहले यह राशि असली साइबर ठगों तक पहुंचने से पहले हजारों अकाउंट में बंट गई। जांच में यह भी पता चला कि बैंक कर्मचारियों और बिचौलियों ने केवाईसी नियमों और ग्राहक जांच (Due Diligence) के बिना यह म्यूल अकाउंट खोला था, जिससे आरबीआई के मास्टर सर्कुलर और बैंक की आंतरिक गाइडलाइंस का उल्लंघन हुआ।
बरामदगी और सबूत
जुलाई में सीबीआई ने इस मामले में छापेमारी कर कई डॉक्यूमेंट्स, डिजिटल सबूत, मोबाइल फोन, आईपैड, बैंक खाता दस्तावेज और लेन-देन की जानकारी जब्त की। जांच में म्यूल अकाउंट खोलने और फंड ट्रांसफर करने में शामिल बिचौलियों और एजेंटों की पहचान की गई। आरोपी म्यूल अकाउंट होल्डर को उनकी कमीशन क्रिप्टोकरेंसी में दी गई, जिसे सह-आरोपियों में बांटा गया। नीरज ने अपने सह-आरोपी सुधीर पालांडे से इंडसइंड बैंक में फर्जी खाता खुलवाया और 3.81 करोड़ रुपये की राशि इसी खाते में जमा करवाई। नीरज ने सुधीर को यह खाता ऑपरेट करने और मुंबई से नागपुर तक अवैध धन ट्रांसफर करने में मदद भी की।
गिरफ्तारी और आगे की कार्रवाई
सीबीआई ने तकनीकी निगरानी, खुफिया जानकारी और फिजिकल इंटेलिजेंस के आधार पर नीरज को ढूंढकर गिरफ्तार किया। पहले ही इस मामले में प्रारंभिक आरोप-पत्र दाखिल किया जा चुका है। इस समय तीन आरोपी न्यायिक हिरासत में हैं: सुधीर पालांडे – फर्जी खाता मालिक, यश ठाकुर – बिचौलिए व शौर्य सिंह – नागपुर में फंड ट्रांसफर ऑपरेटर। सीबीआई अधिकारियों का कहना है कि नीरज की गिरफ्तारी से अभियोजन और कुछ अन्य अज्ञात आरोपियों को पकड़ने में मदद मिलेगी। नीरज को **सीबीआई की विशेष अदालत में पेश किया गया और हिरासत में लिया गया।