
मुंबई। मुंबई की एक विशेष POCSO अदालत ने एक हाई-प्रोफाइल नाबालिग छात्र यौन शोषण मामले में गिरफ्तार पश्चिम बंगाल की महिला डॉक्टर को सशर्त ज़मानत दे दी है। डॉक्टर पर आरोप है कि उसने बॉम्बे स्कॉटिश स्कूल के 17 वर्षीय छात्र के कथित यौन शोषण में मुख्य आरोपी पूर्व शिक्षिका बिपाशा कुमार की मदद की थी, जो पहले ही ज़मानत पर रिहा हो चुकी हैं। अदालत के मुताबिक, डॉक्टर मुख्य आरोपी नहीं हैं और उनसे हिरासत में पूछताछ पूरी की जा चुकी है। अदालत ने कहा कि उनकी ज़मानत से जांच पर कोई प्रतिकूल असर नहीं पड़ेगा और अब उन्हें जेल में रखना कोई अतिरिक्त उद्देश्य पूरा नहीं करता। डॉक्टर पर आरोप है कि उन्होंने छात्र को चिंता-निवारक दवाएं लिखीं, जिसका कथित रूप से शिक्षिका ने दुरुपयोग कर छात्र को बार-बार यौन संबंध बनाने के लिए मजबूर किया। अभियोजन पक्ष ने दावा किया कि यह एक पूर्व नियोजित और लम्बे समय तक चलने वाली साज़िश थी। डॉक्टर को 18 जुलाई को गिरफ्तार किया गया था और 23 जुलाई को उन्हें न्यायिक हिरासत में भेजा गया था। हालांकि पीड़ित छात्र और अभियोजन पक्ष ने डॉक्टर की ज़मानत का विरोध किया। छात्र ने अपने बयान में कहा कि डॉक्टर की रिहाई से उसे “हमेशा डर” लगा रहेगा और सबूतों से छेड़छाड़ या मनोवैज्ञानिक दबाव की आशंका बनी रहेगी।
फिर भी, विशेष न्यायाधीश सबीना ए मलिक ने डॉक्टर को 50,000 रुपए के निजी मुचलके और सॉल्वेंट ज़मानत पर रिहा करने का आदेश दिया, साथ ही कड़ी शर्तें भी लगाईं- जैसे पीड़िता से कोई संपर्क नहीं करना, सबूतों से छेड़छाड़ न करना और अदालत की पूर्व अनुमति के बिना मुंबई न छोड़ना। अदालत ने चेतावनी दी कि शर्तों के उल्लंघन पर ज़मानत तत्काल रद्द कर दी जाएगी। यह घटनाक्रम उस समय हुआ है जब मामले की मुख्य आरोपी शिक्षिका बिपाशा कुमार पहले ही ज़मानत पा चुकी हैं। उन पर आरोप है कि उन्होंने छात्र को मुंबई के विभिन्न होटलों में ले जाकर नशीली दवाओं और शराब के प्रभाव में बार-बार यौन शोषण किया। यह कथित घटनाएं जनवरी 2024 से फरवरी 2025 के बीच की हैं। अपने बचाव में शिक्षिका ने दावा किया कि यह संबंध सहमति से था, एफआईआर छात्र की मां के प्रभाव में दर्ज की गई और उन्होंने कई सबूत—स्नेहपूर्ण संदेश, लड़के के शरीर पर उनके नाम का टैटू और हस्तलिखित नोट्स- अदालत में पेश किए। अदालत ने उनके जुड़वां बच्चों की देखभाल की जिम्मेदारी और उनके अप्रैल 2024 में स्कूल से इस्तीफे के बाद शिक्षक-छात्र संबंध में आए बदलाव को ध्यान में रखकर उन्हें ज़मानत दी थी। डॉक्टर और शिक्षिका दोनों पर पॉक्सो अधिनियम, भारतीय न्याय संहिता और किशोर न्याय अधिनियम के तहत गंभीर आरोप लगे हैं। अदालत ने यह स्पष्ट किया है कि इस संवेदनशील मामले में ज़मानत की शर्तों का सख्ती से पालन अनिवार्य होगा, अन्यथा राहत तुरंत रद्द कर दी जाएगी।