
मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने गुरुवार को कहा कि वह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जीवन पर आधारित एक फिल्म को देखकर ही यह तय करेगा कि केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) द्वारा प्रमाणन देने से इनकार करने के खिलाफ दायर याचिका पर क्या फैसला दिया जाए। “द मॉन्क हू बिकेम चीफ मिनिस्टर” पुस्तक से प्रेरित इस फिल्म को सीबीएफसी ने मंजूरी देने से इनकार किया था, जिसमें फिल्म निर्माताओं द्वारा यूपी सीएम कार्यालय से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) न लेने सहित कुल 29 आपत्तियां शामिल थीं। पुस्तक की प्रति पहले ही अदालत को सौंपी जा चुकी है। न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति नीला गोखले की खंडपीठ ने फिल्म निर्माताओं को निर्देश दिया कि वे सीबीएफसी द्वारा चिह्नित अंशों को उजागर करते हुए फिल्म की एक प्रति प्रस्तुत करें। इसके बाद मामले की सुनवाई 25 अगस्त तक स्थगित कर दी गई। फिल्म निर्माताओं के वकीलों ने तर्क दिया कि सीबीएफसी ने एक निजी व्यक्ति से एनओसी की मांग कर अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर कार्य किया है। उन्होंने कहा कि यह कदम उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। सीबीएफसी की जांच समिति ने 11 अगस्त को 29 आपत्तियां दर्ज की थीं। 12 अगस्त तक जवाब न देने पर पुनरीक्षण समिति ने फिल्म की समीक्षा की, आठ आपत्तियां खारिज कीं, लेकिन 17 अगस्त को प्रमाणन देने से इनकार कर दिया। इसके बाद 18 अगस्त को फिल्म निर्माताओं ने इस अस्वीकृति को चुनौती देते हुए याचिका में संशोधन की मांग की। सीबीएफसी के वकील का कहना था कि बोर्ड ने पूरी प्रक्रिया का पालन किया और फिल्म निर्माताओं के पास सिनेमैटोग्राफ अधिनियम के तहत वैकल्पिक उपाय उपलब्ध थे। हालांकि, अदालत ने कहा कि ऐसे उपाय होने के बावजूद रिट क्षेत्राधिकार को खारिज नहीं किया जा सकता और सीबीएफसी द्वारा इस मामले को संभालने के तरीके की आलोचना की। मामले की आगे की सुनवाई 25 अगस्त को होगी।