
मुंबई। बंबई उच्च न्यायालय ने सरकारी विज्ञापनों में किसी महिला की छवि को उसकी सहमति के बिना इस्तेमाल करने को “व्यावसायिक शोषण” करार दिया है और इसे समकालीन इलेक्ट्रॉनिक युग और सोशल मीडिया के संदर्भ में “काफी गंभीर” बताया है। नम्रता अंकुश कावले द्वारा दायर याचिका पर संज्ञान लेते हुए न्यायमूर्ति जी.एस. कुलकर्णी और न्यायमूर्ति अद्वैत सेठना की खंडपीठ ने केंद्र सरकार, चार राज्य सरकारों, कांग्रेस पार्टी और एक अमेरिकी कंपनी को नोटिस जारी किए हैं। मामले की अगली सुनवाई 24 मार्च को होगी। कावले ने अपनी याचिका में आरोप लगाया कि उनके परिचित स्थानीय फोटोग्राफर तुकाराम कर्वे ने उनकी तस्वीर खींची और इसे अवैध रूप से शटरस्टॉक वेबसाइट पर अपलोड कर दिया। इसके बाद, इस फोटो का इस्तेमाल महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना, ओडिशा की राज्य सरकारों, केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय और कुछ निजी कंपनियों द्वारा विज्ञापनों और सार्वजनिक प्रदर्शनों में बिना उनकी अनुमति के किया गया। हाईकोर्ट ने कहा, इलेक्ट्रॉनिक युग और सोशल मीडिया के समकालीन समय को देखते हुए याचिका में उठाए गए मुद्दे काफी गंभीर हैं। प्रथम दृष्टया ऐसा लगता है कि यह याचिकाकर्ता की तस्वीर का व्यावसायिक उपयोग है।
कानूनी पहलू और हाईकोर्ट का रुख
पीठ ने रॉयल्टी-मुक्त स्टॉक फोटोग्राफ वाली वेबसाइट चलाने वाली अमेरिकी कंपनी शटरस्टॉक, चार राज्य सरकारों, तेलंगाना कांग्रेस, केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय और टोटल डेंटल केयर प्राइवेट लिमिटेड को नोटिस जारी किया है।
उच्च न्यायालय ने कहा कि यह मामला विभिन्न राजनीतिक दलों और राज्य सरकारों द्वारा अपनी योजनाओं के विज्ञापन में महिलाओं की तस्वीर के अनधिकृत उपयोग के गंभीर मुद्दे को उजागर करता है। याचिका में कहा गया कि सरकारों द्वारा महिला की तस्वीर का अवैध उपयोग उसके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। कावले ने अदालत से मांग की है कि प्रतिवादियों को उनकी तस्वीर के उपयोग से स्थायी रूप से रोका जाए और सभी संबंधित वेबसाइटों, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, विज्ञापनों और प्रचार सामग्री से उनकी तस्वीर हटाई जाए। अब इस मामले पर 24 मार्च को अगली सुनवाई होगी।