
मुंबई। ठाणे नगर निगम (टीएमसी) द्वारा सरकारी जमीन पर अवैध निर्माण को कथित संरक्षण देने के मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। अदालत ने माजीवड़ा क्षेत्र में बने तीन बहुमंजिला भवनों और एक बिना अनुमति से चल रहे बार व रेस्टोरेंट को गिराने का आदेश दिया। यह जमीन मूलतः पशुओं के चराने के लिए आरक्षित थी।
22 सितंबर को जस्टिस गिरीश कुलकर्णी और जस्टिस आरती साठे की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि “यह एक और ऐसा मामला है, जो अदालत के विवेक को झकझोरता है, खासकर तब जब विवादित जमीन पर बिना किसी अनुमति के इमारतें खड़ी कर दी गईं।” अदालत ने टिप्पणी की कि निर्माण स्पष्ट रूप से तत्कालीन नगरसेवक की मिलीभगत से हुआ, जैसा कि याचिका में आरोप लगाया गया है।
यह मामला नीरज काबड़ी की याचिका पर सुनवाई के दौरान सामने आया, जिसमें दावा किया गया था कि तीन इमारतें– विंग ए, बी और सी राज्य सरकार की अनुमति के बिना खड़ी की गईं। साथ ही, पूर्व नगरसेवक भूषण भोयर और अन्य ने अपनी पत्नियों के नाम पर बिना अनुमति के “मोगाम्बो बार एंड फैमिली रेस्टोरेंट” (बाद में मधुशाला बार) शुरू किया, जिसका इस्तेमाल पार्टियों और आयोजनों के लिए किया गया। कोर्ट ने नाराजगी जताई कि जनवरी 2025 में पुलिस सुरक्षा दिए जाने के आदेश के बावजूद अब तक टीएमसी ने कार्रवाई नहीं की। बेंच ने कहा- ऐसा प्रतीत होता है कि नगर निगम का इरादा अवैध निर्माण को बचाए रखना था, न कि कानून लागू करना। अदालत ने सवाल उठाया कि बार-बार निर्देशों के बाद भी कार्रवाई में देरी क्यों हुई। टीएमसी की ओर से वरिष्ठ वकील राम आप्टे ने दलील दी कि विध्वंस के दौरान लोगों की भीड़ बाधा डाल रही थी। लेकिन अदालत ने इस तर्क को खारिज करते हुए कहा, “अगर वास्तव में कार्रवाई का इरादा होता, तो पहला कदम बिजली और पानी का कनेक्शन काटना होता। अदालत ने आदेश दिया कि टीएमसी एक सप्ताह के भीतर नोटिस जारी करे, 15 दिनों में बिजली और पानी की आपूर्ति बंद करे और जरूरत पड़ने पर पुलिस सुरक्षा लेकर विध्वंस की कार्रवाई पूरी करे। बेंच ने स्पष्ट किया कि नोटिस जारी करने में दी गई यह छूट केवल त्योहारों के मौसम के कारण है, और यह भी कहा कि वहां रहने वाले लोग लंबे समय से जानते थे कि वे अवैध निर्माण में रह रहे हैं। पूरी तरह से अवैध घोषित इमारतों को गिराने का आदेश देते हुए अदालत ने कहा कि इस बार नगर निगम को अपना असली इरादा साबित करना होगा।