
मुंबई। मुंबई के बांद्रा (पूर्व) रेलवे स्टेशन को बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स (बीकेसी) से जोड़ने वाले फुटओवर ब्रिज (एफओबी) के निर्माण में हो रही देरी पर बंबई हाईकोर्ट ने बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) को फटकार लगाई है। अदालत ने पूछा कि अदालती आदेशों की अवहेलना करने पर संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई क्यों न की जाए।
यात्रियों की सुरक्षा खतरे में
न्यायमूर्ति गिरीश कुलकर्णी और मंजूषा देशपांडे की खंडपीठ ने कहा कि बार-बार आश्वासन देने के बावजूद काम ठप पड़ा है, जिससे लाखों यात्रियों को जोखिम उठाना पड़ रहा है। अदालत ने टिप्पणी की कि यात्रियों को संकरे फुटपाथ, अव्यवस्थित परिस्थितियों और फुटओवर ब्रिज के अभाव में असुरक्षित माहौल में चलना पड़ रहा है।
वरिष्ठ नागरिक की याचिका पर सुनवाई
यह मामला बांद्रा (पूर्व) निवासी वरिष्ठ नागरिक केपीपी नायर की याचिका पर सुनवाई के दौरान उठा। नायर ने स्काईवॉक न बनने से उत्पन्न जाम और दुर्घटनाओं की आशंका पर चिंता जताई थी। उनकी याचिका में बीएमसी पर वादाखिलाफी और पूर्व में दिए गए अदालती आदेशों की अनदेखी का आरोप लगाया गया।
पूर्व आदेशों की अनदेखी और पारदर्शिता की कमी
अदालत ने कहा कि अप्रैल 2023 में बीएमसी ने 15 महीने में निर्माण शुरू करने का वादा किया था, लेकिन अब तक खंभे लगाने के अलावा कोई प्रगति नहीं हुई। अदालत ने नगर आयुक्त को संबंधित अधिकारियों के आचरण की जांच के निर्देश दिए और बीएमसी को पारदर्शी प्रगति रिपोर्ट पेश करने को कहा। बीएमसी के वरिष्ठ वकील ने अदालत में कार्यकारी अभियंता बिपिन जाधव और सहायक अभियंता प्रशांत जावले के नाम बताए, जो इस परियोजना के लिए जिम्मेदार हैं। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 9 सितंबर 2025 को तय की है।