मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने 42 वर्षीय वकील विनय कुमार खाटू की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी है, जिस पर उच्च न्यायालय के आदेशों में कथित जालसाजी करने और एक मुवक्किल से 2.3 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का मामला दर्ज है। अदालत ने यह निर्णय देते हुए कहा कि इस तरह के गंभीर मामलों में आरोपी से हिरासत में पूछताछ आवश्यक है ताकि पूरे धोखाधड़ी की साजिश और पैसे के स्रोत का पता लगाया जा सके।
धोखाधड़ी का मामला और खाटू की याचिका
खाटू पर मुंबई के आजाद मैदान पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज की गई थी। दिल्ली स्थित मुवक्किल उर्मिला तलयारखान ने खाटू पर आरोप लगाया था कि उसने अलीबाग स्थित एक संपत्ति के मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट के मनगढ़ंत आदेश प्रस्तुत किए। तलयारखान का कहना है कि खाटू ने उसे बताया कि अदालत ने 17 अक्टूबर 2022 और 12 दिसंबर 2022 को अनुकूल आदेश दिए थे, लेकिन जब इन आदेशों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई तो तलयारखान ने नया वकील नियुक्त किया, जिसने यह खुलासा किया कि ऐसे कोई आदेश पारित नहीं किए गए थे।
वकील के तर्क और अदालत का फैसला
खाटू के वकील ने तर्क दिया कि उनके मुवक्किल ने कोई फर्जी आदेश नहीं दिया और सिर्फ 65 लाख रुपये ही प्राप्त किए थे। वहीं, तलयारखान के वकील रिजवान मर्चेंट ने खाटू के आपराधिक इतिहास की जानकारी दी, जिसमें बताया गया कि खाटू के खिलाफ दिल्ली और केरल के कोट्टायम में भी फर्जीवाड़ा के मामले दर्ज हैं। न्यायमूर्ति आरएन लड्ढा ने खाटू की अग्रिम जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि हिरासत में पूछताछ से ही धोखाधड़ी की गंभीरता और इससे जुड़े अन्य पहलुओं का खुलासा हो सकेगा। न्यायाधीश ने कहा कि आरोपी का आपराधिक इतिहास भी इस बात को पुष्ट करता है कि उसे अग्रिम जमानत देना जांच में बाधा उत्पन्न कर सकता है।