Thursday, November 21, 2024
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बंबई उच्च न्यायालय ने निचली अदालतों को अग्रिम जमानत याचिकाओं पर त्वरित सुनवाई का आदेश दिया

मुंबई। बंबई उच्च न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि जब किसी नागरिक की स्वतंत्रता का सवाल हो, तो यह जरूरी है कि निचली अदालतें अग्रिम जमानत का अनुरोध करने वाली याचिकाओं पर या तो अंतिम रूप से या फिर कम से कम अंतरिम सुरक्षा देने के लिए त्वरित तरीके से सुनवाई करें और फैसला लें। उच्च न्यायालय ने कहा कि अगर निचली अदालतें ऐसे मामलों में फैसला नहीं लेती हैं, तो इनका बोझ उच्च न्यायालय पर आ जाता है। न्यायमूर्ति संदीप मार्ने की एकल पीठ ने एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के स्थानीय नेता वामन म्हात्रे की अग्रिम जमानत याचिका पर शीघ्र निर्णय नहीं लेने के लिए ठाणे जिले के कल्याण की एक निचली अदालत से अप्रसन्नता जाहिर करते हुए ये टिप्पणियां कीं। म्हात्रे पर पिछले हफ्ते बदलापुर के एक स्कूल में दो छात्राओं के कथित यौन उत्पीड़न के खिलाफ प्रदर्शनों के दौरान एक महिला पत्रकार के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियां करने का आरोप है। म्हात्रे ने उच्च न्यायालय में एक अपील दायर की, जिसमें दावा किया गया कि कल्याण सत्र अदालत के समक्ष 22 अगस्त को दायर उनकी अग्रिम जमानत याचिका पर अभी तक सुनवाई नहीं हुई है और अंतरिम सुरक्षा का अनुरोध करने वाली उनकी अर्जी पर भी विचार नहीं किया गया है। शिवसेना नेता ने दावा किया कि सत्र अदालत हर मौके पर उनकी याचिका पर सुनवाई स्थगित कर रही है और अब 29 अगस्त को सुनवाई होनी है। न्यायमूर्ति मार्ने ने सत्र न्यायाधीश को म्हात्रे की याचिका पर 29 अगस्त को ही फैसला करने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा, ‘‘सत्र न्यायाधीश अग्रिम जमानत याचिका की स्थिति के बारे में एक रिपोर्ट 29 अगस्त की शाम को ही उच्च न्यायालय के रजिस्ट्री विभाग के समक्ष रखेंगे। न्यायमूर्ति मार्ने ने कहा कि जब याचिका किसी व्यक्ति की स्वतंत्रता से संबंधित है, तो आदर्श रूप से अदालत को कम से कम अंतरिम सुरक्षा का अनुरोध करने वाले आवेदन पर विचार करना चाहिए था। उन्होंने कहा जब किसी नागरिक की स्वतंत्रता का सवाल शामिल होता है, तो यह आवश्यक है कि गिरफ्तारी से पहले जमानत के लिए आवेदन स्वीकार किया जाए और या तो अंतिम रूप से या कम से कम अंतरिम सुरक्षा प्रदान करने के लिए फैसला जल्द लिया जाए। उच्च न्यायालय ने कहा अगर निचली अदालतें ऐसे मामलों में फैसला नहीं करती हैं, तो उच्च न्यायालय पर ऐसे मामलों का बोझ बढ़ जाता है। उन्हें निर्णय लेना चाहिए। समस्या यह है कि निर्णय नहीं लिया जाता। उच्च न्यायालय ने म्हात्रे की अपील का निपटारा करते हुए कहा कि सत्र अदालत उनकी अग्रिम जमानत याचिका पर 29 अगस्त को सुनवाई करेगी और फैसला लेगी।

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