
मुंबई। बहुचर्चित प्रहलाद कुमार चौहान अपहरण मामले में गुरुवार को निलंबित आईएएस प्रोबेशनर पूजा खेडकर और उनके पिता दिलीप खेडकर को बॉम्बे हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। अदालत ने दोनों को अग्रिम (गिरफ्तारी से पहले) जमानत प्रदान की है। यह फैसला उस समय आया जब एक निचली अदालत ने पहले उन्हें अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया था। हाईकोर्ट की एकल पीठ के न्यायमूर्ति नितिन बोरकर ने याचिका पर सुनवाई करते हुए दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद यह राहत दी। अदालत ने दोनों पर कुछ शर्तें भी लगाई हैं। उन्हें छह सप्ताह के भीतर पीड़ित प्रहलाद चौहान को मुआवजे के रूप में 4 लाख रुपये, और पुलिस कल्याण कोष में 1 लाख रुपये जमा कराने होंगे। इस बीच, घटना में शामिल ड्राइवर प्रफुल सालुंके अभी भी पुलिस हिरासत में है और उसके खिलाफ मामला जारी है।
पुलिस के अनुसार, यह पूरा विवाद 13 सितंबर को मुलुंड-ऐरोली रोड पर शुरू हुआ, जब एक सीमेंट मिक्सर ट्रक और एसयूवी (लैंड क्रूजर) के बीच मामूली टक्कर हो गई थी। इसके बाद ट्रक चालक और हेल्पर प्रहलाद कुमार चौहान (22 वर्ष) से हर्जाने की मांग की गई। पुलिस रिपोर्ट के अनुसार, जब मांग पूरी नहीं हुई, तो दिलीप खेडकर और उनके ड्राइवर सालुंके ने चौहान को जबरन अपनी एसयूवी में बैठाया और उसे पुणे स्थित खेडकर के बंगले पर ले गए। चौहान ने अपने बयान में आरोप लगाया कि उसे बंगले में मौजूद चौकीदार के कमरे में बंद रखा गया, बासी खाना दिया गया, और हर्जाना न देने पर जान से मारने की धमकी दी गई। मामले के सामने आने के बाद से यह घटना राज्य के प्रशासनिक हलकों में चर्चा का विषय बनी हुई है, क्योंकि इसमें एक आईएएस प्रशिक्षु अधिकारी और उनका परिवार शामिल है। अब जबकि हाईकोर्ट ने पूजा और दिलीप खेडकर को अग्रिम जमानत दे दी है, पुलिस जांच आगे बढ़ेगी और यह देखा जाएगा कि घटना की परिस्थितियों में अपहरण, धमकी और बंधक बनाने के आरोप कितने गंभीर हैं।