मुंबई। बंबई हाई कोर्ट ने गुरुवार को सिंधुदुर्ग जिले के राजकोट किले में छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा गिरने के मामले में गिरफ्तार सलाहकार चेतन पाटिल को जमानत दे दी। न्यायमूर्ति ए. एस. किलोर की एकल पीठ ने अपने फैसले में कहा कि पाटिल को इस मामले में आरोपी बनाने का कोई आधार नहीं है, क्योंकि वह प्रतिमा के संरचनात्मक डिजाइनर नहीं थे। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि पाटिल ने केवल प्रतिमा के आधार की संरचनात्मक स्थिरता की रिपोर्ट प्रस्तुत की थी, जबकि घटना के बाद भी आधार संरक्षित था। इस मामले में प्रतिमा निर्माण के ठेकेदार और मूर्तिकार जयदीप आप्टे को भी गिरफ्तार किया गया था। आप्टे की जमानत याचिका पर सुनवाई अब 25 नवंबर को होगी। पाटिल और आप्टे ने पहले सत्र अदालत में जमानत की अर्जी दी थी, लेकिन खारिज होने के बाद दोनों ने बंबई हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
क्या है प्रतिमा विवाद का पूरा मामला
सिंधुदुर्ग के मलवान क्षेत्र में 35 फुट ऊंची छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा 26 अगस्त को ढह गई थी। यह प्रतिमा नौ महीने पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नौसेना दिवस पर अनावरण की गई थी। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नजदीक आने के साथ, इस घटना ने सियासी हलचल पैदा कर दी। विपक्षी दलों ने इसे लेकर सत्तारूढ़ महायुति, भाजपा, और प्रधानमंत्री मोदी पर जमकर निशाना साधा। प्रतिमा ढहने के मामले में सिंधुदुर्ग पुलिस ने आप्टे और पाटिल के खिलाफ लापरवाही और अन्य अपराधों के लिए एफआईआर दर्ज की थी।