
मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 में शाम 6 बजे मतदान समाप्त होने के बाद मतदान आंकड़ों में अचानक वृद्धि को लेकर दाखिल याचिका को खारिज कर दिया है। हाईकोर्ट की दो सदस्यीय पीठ – न्यायमूर्ति गिरीश कुलकर्णी और न्यायमूर्ति आरिफ डॉक्टर – ने बुधवार को यह फैसला सुनाया, जिसे सोमवार को सुरक्षित रखा गया था।
कोर्ट ने इस याचिका पर तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि पूरे दिन की सुनवाई में अदालत का कीमती समय बर्बाद किया गया। यह याचिका वंचित बहुजन आघाड़ी (VBA) के विक्रोली के कार्यकर्ता चेतन अहिरे ने दायर की थी, जिनकी ओर से पार्टी प्रमुख और वरिष्ठ अधिवक्ता प्रकाश आंबेडकर ने दलीलें पेश कीं।
याचिका में क्या कहा गया था?
प्रकाश आंबेडकर ने अदालत के समक्ष आरोप लगाया कि ईवीएम के उपयोग के बाद से चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी आई है। उन्होंने यह भी दावा किया कि चुनाव समाप्त होने के बाद 76 लाख वोटों का अचानक दर्ज होना सिर्फ तकनीकी गलती नहीं, बल्कि लोकतंत्र पर गंभीर आघात है। उन्होंने यह सवाल भी उठाया कि 19 विधानसभा सीटों पर उपलब्ध मतदाताओं से अधिक वोट कैसे दर्ज हुए? उन्होंने 16 जनवरी 2025 को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे समेत विपक्षी नेताओं को पत्र लिखकर 1961 के चुनाव नियमों में संशोधन और ईवीएम के विरोध में संयुक्त लड़ाई की अपील की थी।
चुनाव आयोग और केंद्र सरकार का जवाब
इस याचिका का चुनाव आयोग और केंद्र सरकार दोनों ने कड़ा विरोध किया। आयोग की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आशुतोष कुंभकोनी और केंद्र की ओर से डॉ. उदय वरुणजीकर ने अदालत में पक्ष रखते हुए कहा कि- यह याचिका कानूनी रूप से बनाए गए चुनाव तंत्र पर सीधा हमला है। याचिकाकर्ता पूरी चुनाव प्रक्रिया पर संदेह जताकर अदालत से समाधान नहीं मांग सकते। सुप्रीम कोर्ट पहले ही इस विषय पर स्पष्ट दिशानिर्देश दे चुका है। अंततः, हाईकोर्ट ने इन तर्कों को स्वीकार करते हुए याचिका को अस्वीकार्य मानते हुए खारिज कर दिया और स्पष्ट किया कि अदालत के कीमती समय का दुरुपयोग नहीं किया जाना चाहिए। यह फैसला चुनाव आयोग की निष्पक्षता और चुनावी प्रक्रिया की वैधता को लेकर उठ रहे सवालों पर न्यायिक समर्थन के रूप में देखा जा रहा है।