
मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक ऐतिहासिक आदेश में नोवा आईवीएफ फर्टिलिटी सेंटर को निर्देश दिया है कि वह कैंसर से मृत एक 21 वर्षीय अविवाहित युवक के जमे हुए वीर्य को आगामी 30 जुलाई तक सुरक्षित रूप से संरक्षित रखे। यह अंतरिम आदेश युवक की मां द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति मनीष पिटाले की एकल पीठ ने दिया। मां ने याचिका में अपने बेटे के वीर्य तक पहुंच की अनुमति मांगी थी ताकि पारिवारिक वंश को आगे बढ़ाया जा सके। युवक ने कीमोथेरेपी के दौरान अपने वीर्य का नमूना संरक्षित कराया था। हालांकि, उसने क्लिनिक द्वारा दिए गए सहमति पत्र में मृत्यु की स्थिति में नमूना “त्यागने” का विकल्प चुना था, क्योंकि वह अविवाहित था और फॉर्म में केवल दो विकल्प थे। नमूना जीवनसाथी को सौंपना या त्याग देना। क्लिनिक ने उसी सहमति पत्र और सहायक प्रजनन तकनीक (विनियमन) अधिनियम, 2021 का हवाला देते हुए वीर्य तक पहुंच से इनकार कर दिया और अदालत का आदेश मांगा। युवक की मां ने अदालत से कहा कि उसके बेटे ने फॉर्म पर हस्ताक्षर परिवार से बिना चर्चा किए किए थे, और यह विकल्प उसे मजबूरी में चुनना पड़ा क्योंकि अन्य कोई विकल्प नहीं था। उन्होंने याचिका में यह भी बताया कि परिवार में अब केवल महिला सदस्य शेष हैं। पति और बेटे के चाचा की भी पूर्व में मृत्यु हो चुकी है। याचिका में यह भी कहा गया है कि मृत्यु से ठीक पहले युवक ने अपनी चाची से मरणासन्न इच्छा जताई थी कि “मेरे शुक्राणु के साथ कुछ करो और मेरे बच्चे पैदा करो जो मेरी माँ और परिवार की देखभाल करेंगे। न्यायालय ने माना कि यदि याचिका लंबित रहने के दौरान वीर्य नष्ट कर दिया गया तो पूरी याचिका ही निरर्थक हो जाएगी। इसलिए क्लिनिक को वीर्य नमूना सुरक्षित रखने के लिए बाध्य किया गया है। यह मामला सहायक प्रजनन तकनीक अधिनियम के अंतर्गत मरणोपरांत प्रजनन और युग्मक (गैमेट) संरक्षण से जुड़े जटिल कानूनी प्रश्न उठाता है। सरकार के वकील ने अदालत को सूचित किया कि दिल्ली हाईकोर्ट ने 2024 में एक समान मामले में, मृत अविवाहित युवक के माता-पिता को त्याग के निर्देश के बावजूद वीर्य तक पहुंच की अनुमति दी थी। इस मामले की अगली सुनवाई 30 जुलाई को निर्धारित है और तब तक अदालत ने सभी पक्षों से विस्तृत उत्तर और तर्क प्रस्तुत करने को कहा है। यह मामला न केवल भावनात्मक रूप से, बल्कि नैतिक और कानूनी दृष्टिकोण से भी भारतीय न्याय प्रणाली के समक्ष एक नई चुनौती के रूप में उभरा है।