Saturday, November 22, 2025
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बिहार की राजनीति और राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा

कुमार कृष्णन
लोक सभा में प्रतिपक्ष के नेता राहुल गांधी की 17 अगस्त को सासाराम से शुरु हुई वोटर अधिकार यात्रा का समापन एक सितंबर को पटना में हो गया। यह 16 दिनों की यात्रा राज्य के 25 जिलों और 110 विधानसभा क्षेत्रों से गुजरी। करीब 1300 किलोमीटर की इस यात्रा का उद्देश्य कथित तौर पर लाखों मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से हटाने के खिलाफ आवाज उठाना था। राहुल गांधी ने इसे “नैतिक” लड़ाई बताया। यात्रा के दौरान विपक्षी दलों ने एकजुटता दिखाई। राहुल गांधी की ‘वोटर अधिकार यात्रा’ सासाराम से शुरू हुई थी और पटना में समाप्त हुई। इस यात्रा का मकसद उन लाखों मतदाताओं के लिए आवाज उठाना था, जिनके नाम वोटर लिस्ट से हटा दिए गए हैं। चुनाव आयोग की मसौदा मतदाता सूची में राज्य के 65.5 लाख वोटरों के नाम शामिल नहीं किए गए हैं। विपक्ष ने इस यात्रा को सिर्फ एक अभियान नहीं, बल्कि एक “नैतिक” लड़ाई के तौर पर पेश किया।
राहुल गांधी ने कहा कि वे उन लाखों लोगों के मताधिकार की रक्षा करना चाहते हैं, जिनके नाम मतदाता सूची से हटा दिए गए हैं। यात्रा में संवैधानिक की रक्षा की दुहाई दी गई और विपक्ष की एकता का प्रदर्शन किया गया। इस यात्रा के दौरान ‘वोट चोर, गद्दी छोड़’ जैसे नारे लगाए गए। पटना की रैली में समापन के मौके पर उमड़े जनसैलाब को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने कर्नाटक की महादेवपुरा सीट में फर्जी मतदाताओं की पड़ताल के प्रकरण को दोहराते हुए कहा कि तब तो केवल एटम बम फटा था, लेकिन उससे भी ताकतवर होता है हाइड्रोजन बम, जो अब फूटने जा रहा है। राहुल गांधी ने भारतीय जनता पार्टी और चुनाव आयोग पर वोट चोरी करने का आरोप लगाया। राहुल गांधी ने कहा कि यह सिर्फ बिहार का मुद्दा नहीं है, बल्कि भारतीय लोकतंत्र का मुद्दा है। राहुल गांधी ने कहा कि उनकी यात्रा का मुख्य संदेश – ‘एक व्यक्ति, एक वोट’ है। उन्होंने बीजेपी और चुनाव आयोग पर 65 लाख से ज्यादा वोटरों के नाम मतदाता सूची से हटाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि हटाए गए मतदाताओं में दलित, ओबीसी , मुस्लिम और गरीब वर्ग के लोग शामिल हैं। राहुल गांधी ने कहा, यह सिर्फ बिहार के बारे में नहीं है, यह भारत के लोकतंत्र के बारे में है। उन्होंने कहा कि यह यात्रा संविधान की रक्षा के लिए थी। राहुल गांधी ने संकेत दिए हैं कि निश्चित ही कांग्रेस पार्टी ने कई ऐसे और सबूत अब तक एकत्र कर लिए होंगे, जिनके सामने आने से बड़ा धमाका होने वाला है। दो दिन पहले गुजरात में कांग्रेस अध्यक्ष अमित चावड़ा ने लोकसभा सीट नवसारी और विधानसभा सीट चोरयासी पर जांच का दावा किया है। उन्होंने बताया कि कुल मतदाताओं में करीब 30 हज़ार फर्जी हैं। जब दो सीटों पर इतनी बड़ी संख्या में फर्जी वोटर हैं, तब इस फर्जीवाड़े का दायरा और कितना बड़ा होगा, यह अनुमान लगाया जा सकता है। महाराष्ट्र और हरियाणा के विधानसभा चुनाव इसके अलावा लोकसभा चुनावों में भी मतदाता सूची में हेरफेर के इल्जाम श्री गांधी लगा चुके हैं, तो मुमकिन हैं अबकी बार इन्हीं में से किसी चुनाव की गड़बड़ी फिर से सामने लायी जायेगी। पटना में यात्रा के समापन पर राहुल और तेजस्वी के साथ जेएमएम से हेमंत सोरेन, शिवसेना से संजय राउत, एनसीपी से जितेंद्र आव्हाड़, टीएमसी से युसूफ पठान, माकपा से एम ए बेबी, भाकपा से डी राजा और एनी राजा भी शामिल हुए। इससे पहले एम के स्टालिन, कनिमोझी, अखिलेश यादव, पप्पू यादव तो यात्रा में साथ चले भी हैं। इस मौके पर झारखंड के मुख्य मंत्री हेमन्त सोरेन ने कहा कि वोट चोरी पहले से चल रही थी, पकड़ में अब आई है। इसके संकेत साफ़ हैं कि वोट चोरी या एसआईआर के जरिए मतदाता सूची से नाम काटने का मुद्दा केवल बिहार तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे देश का मुद्दा बन चुका है और समूचा विपक्ष इसमें एक साथ भाजपा के खिलाफ खड़ा है। पूरा विपक्ष चुनाव आयोग पर धांधली के एक जैसे इल्जाम लगा रहा है। अभी आम आदमी पार्टी इसमें शामिल नहीं हुई, लेकिन वोट चोरी की शिकायत वह भी करती है और जब संसद से चुनाव आयोग तक विपक्ष का पैदल मार्च हुआ था, तब आप के सांसद संजय सिंह भी शामिल हुए थे। यहां अब विपक्ष पहले से ज्यादा ताकतवर और एकजुट दिखाई दे रहा है। वैसे तो पूरी यात्रा के दौरान भारी हुजूम उमड़ा रहा, लेकिन समापन के मौके पर न केवल बिहार बल्कि देश के अलग-अलग जगहों से लोग पहुंचे थे। गांधी मैदान से अंबेडकर प्रतिमा तक विपक्ष के काफ़िले को आगे बढ़ने में घंटों लगे क्योंकि तिल रखने की जगह भी नहीं थी। तिरंगे, हरे, लाल, नीले रंग के झंडों से पटना अटा पड़ा था और वहीं बहुत से लोगों ने काले कपड़ों में भी अपनी मौजदूगी दर्ज कराई। लेकिन उनका भी राहुल-तेजस्वी से बैर नहीं था, और न ही किसी को काले कपड़ों में आने से रोका गया। बल्कि 30 अगस्त को यात्रा के आखिरी दिन भोजपुर में भारतीय जनता युवा मोर्चा के 4 कार्यकर्ताओं ने राहुल गांधी को काले झंडे दिखाए थे, तो उन्होंने उनमें से एक को पास बुलाकर उनकी बात सुनी और हक़ीक़त बताई। हालांकि भाजपा अब इसे ही मुद्दा बनाने की कोशिश में है। राहुल की सभा में बिजली काटना, आवागमन अवरुद्ध करवाना, ये सारे दांव भी भीड़ को रोक नहीं पाए, तो श्री मोदी की दिवंगत मां का मुद्दा खड़ा हो गया। पटना में सदाकत आश्रम पर लाठी डंडों के साथ हमले के बाद लखीमपुर खीरी में कांग्रेस मुख्यालय में भाजपा कार्यकर्ताओं ने तोड़-फोड़ मचाई और यह सब पुलिस की मौजूदगी में हुआ। इधर राहुल गांधी के हाइड्रोजन बम वाले बयान के फौरन बाद भाजपा ने प्रेस कांफ्रेंस की, जिसमें रविशंकर प्रसाद ने उन्हें विपक्ष के नेता की गरिमा का वास्ता दिया। राहुल गांधी की समझ पर सवाल उठाए कि दुनिया में आज तक हाइड्रोजन बम नहीं फूटा, राहुल गांधी इसे फोड़ने की बात कह रहे हैं। जिस हड़बड़ी में भाजपा ने ये प्रेस कांफ्रेंस की और ऐसा लगा कि बिना तैयारी के ही पूर्व कानून मंत्री पत्रकारों को संबोधित करने बैठे थे, उससे ज़ाहिर हो रहा है कि बिहार का माहौल अब भाजपा को डराने लगा है।
वैसे भी चुनाव आयोग पर अब और नए आरोप सामने आए हैं। पवन खेड़ा ने बताया कि मतदाता सूची में गड़बड़ी की 89 लाख शिकायतें चुनाव आयोग को दी गई हैं। क्योंकि इससे पहले चुनाव आयोग ने अदालत में कहा था कि उसके पास शिकायतें नहीं आई हैं। कांग्रेस नेता ने बताया कि चुनाव अधिकारी बूथ एजेंटों से शिकायतें नहीं लेते और व्यक्तिगत शिकायत जमा करने कहते हैं, जो कि संभव नहीं है, क्योंकि लाखों लोग, जिनके नाम वोटर लिस्ट से कट चुके हैं वे चुनाव अधिकारी तक नहीं पहुंच सकते हैं। कांग्रेस ने कहा है कि बूथ एजेंटों ने सभी के आवेदन इकट्ठा कर, जिला अध्यक्षों के माध्यम से जिला निर्वाचन अधिकारी को जमा करवाये हैं। इस खुलासे से ज़ाहिर है कि चुनाव आयोग तक शिकायत पहुंचाने की कोशिश राजनैतिक दल कर रहे हैं। इसी तरह वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के पति परकला प्रभाकर ने भी चुनाव आयोग से सवाल किए हैं। क्योंकि पत्रकार श्रीनिवासन रमानी की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि बिहार में एसआईआर के तहत तो 65 लाख वोट विभिन्न इलाकों से काटे गए हैं, उनके विश्लेषण पर गंभीर सवाल उठते हैं। जैसे 80 इलाकों में युवा मतदाताओं के मृत्यु के आंकड़े आश्चर्यजनक रूप से सामने आए हैं। 127 इलाकों में वोटर लिस्ट में नाम काटने में लिंगभेद देखा गया है, 1985 इलाके ऐसे हैं, जहां अतार्किक तौर पर मतदाताओं के नाम काटे गए हैं। 937 इलाके ऐसे हैं, जहां सारे मतदाताओं को मृत बताया गया है, 5084 इलाकों में बड़ी संख्या में अनुपस्थित मतदाता दिखाये गये हैं। ऐसी ही कई और अनियमितताओं का खुलासा रिपोर्ट में किया गया है, जिसकी गहन जांच की ज़रूरत बताई गई है। इन ख़बरों से ज़ाहिर है कि वोट चोरी का मुद्दा अकेले राहुल गांधी नहीं उठा रहे हैं, उनके साथ कई लोग चुनाव आयोग से जवाबदेही की उम्मीद कर रहे हैं। बिहार में पिछले करीब चार दशकों में कांग्रेस लगातार कमजोर होती गई है। लेकिन इस यात्रा ने राहुल गांधी को विपक्ष के मुख्य चेहरे के तौर पर स्थापित किया। यात्रा ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं को भी उत्साहित किया है। इससे पार्टी को बिहार विधानसभा चुनावों से पहले अपने संगठन को मजबूत करने का मौका मिला। चंद्रशेखर यादव उर्फ पप्पू यादव के अनुसार कांग्रेस को मजबूती मिली है इस यात्रा से। वोटर अधिकार यात्रा के दौरान राहुल गांधी सफेद टी-शर्ट के ऊपर गमछा डाले हुए थे। वे खुली जीप पर सवार होकर गांवों में लोगों से बात करते हुए दिखाई दिए। पार्टी ने इन तस्वीरों को सोशल मीडिया पर खूब शेयर किया। उन्हें एक जमीनी और लोगों तक पहुंचने वाले नेता के तौर पर पेश किया गया। राहुल गांधी मखाने के खेतों में भी गए। उन्होंने देखा कि यह सुपरफूड कैसे उगाया जाता है। उन्होंने कहा कि 99 प्रतिशत ‘बहुजन’ लोग कड़ी मेहनत करते हैं, जबकि इसका फायदा सिर्फ एक प्रतिशत बिचौलियों को मिलता है। उन्होंने इस “अन्याय” के खिलाफ लड़ने का वादा किया। राहुल गांधी ने लोगों से अपील की कि वे सरकार के खिलाफ एकजुट हों। उन्होंने कहा कि अगर लोग एकजुट होंगे तो वे सरकार को बदल सकते हैं। राहुल गांधी की बातों का लोगों पर काफी असर हुआ। यात्रा के दौरान कई लोगों ने उनसे मिलकर अपनी समस्याएं बताईं। लोगों ने उन्हें बताया कि वे सरकार से कितने परेशान हैं। राहुल गांधी ने लोगों को आश्वासन दिया कि वह उनकी समस्याओं को दूर करने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे। उन्होंने कहा कि वह लोगों के साथ हैं और वह उनके लिए लड़ते रहेंगे। राहुल गांधी की यह यात्रा बिहार की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकती है। बिहार में विधानसभा चुनाव अक्टूबर-नवंबर माह में होने की संभावना है। इस चुनाव से पहले बिहार का सियासी माहौल पूरी तरह गर्म हो चुका है। पक्ष-विपक्ष के बीच आरोप-प्रत्यारोप तेज होते जा रहे हैं। बिहार का विधानसभा चुनाव महत्वपूर्ण इसलिए है क्योंकि इसके नतीजे सत्ता पक्ष और विपक्ष के भविष्य के बारे में संकेत दे सकते हैं। इस चुनाव के करीब छह माह बाद मई 2026 में चार राज्यों असम, तमिलनाडु, केरल और पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव होंगे। इनमें से तीन राज्यों में विपक्ष की सरकारें हैं।

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