Monday, March 10, 2025
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महाड में न्यायालय भवन का भूमि पूजन, मुख्यमंत्री फडणवीस बोले – न्यायिक बुनियादी ढांचे को मिलेगा और अधिक विस्तार

रायगढ़। रायगढ़ जिले के महाड में दीवानी न्यायाधीश (कनिष्ठ स्तर) न्यायालय की नई इमारत के भूमि पूजन और शिलान्यास समारोह का आयोजन रविवार को किया गया। इस अवसर पर सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश भूषण गवई, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे। मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा कि राज्य सरकार न्यायिक बुनियादी ढांचे को प्राथमिकता दे रही है और हर साल 1000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। उच्च न्यायालय समिति से प्राप्त प्रस्तावों को शीघ्र पूरा करने के प्रयास जारी हैं, जिससे न्याय प्रक्रिया को गति मिलेगी। उन्होंने यह भी कहा कि महाड ऐतिहासिक रूप से स्वराज्य, क्रांति और समानता की भूमि रही है, और डॉ.बाबासाहेब आंबेडकर द्वारा चलाया गया “चवदार तालाब आंदोलन” केवल पानी के लिए संघर्ष नहीं, बल्कि देश की दशा और दिशा बदलने वाली कानूनी लड़ाई थी। मुख्यमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि महाड न्यायालय की इमारत को आधुनिक और उच्च गुणवत्ता वाली बनाने के लिए सरकार संपूर्ण सहायता देगी। नए कानूनों के अनुसार, मामलों को अनावश्यक रूप से लंबा नहीं खींचा जाएगा, जिससे न्याय प्रक्रिया तेज होगी। उन्होंने यह भी घोषणा की कि मुंबई, नागपुर और छत्रपति संभाजीनगर में अंतरराष्ट्रीय स्तर के लॉ स्कूल स्थापित किए जाएंगे, जिससे अच्छे विधि विशेषज्ञ तैयार होंगे। सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश भूषण गवई ने कहा कि महाराष्ट्र में न्यायिक बुनियादी ढांचा उच्च स्तर का है और अंतिम व्यक्ति तक न्याय पहुंचाने के लिए राज्य सरकार निरंतर प्रयासरत है। उन्होंने महाड में अतिरिक्त जिला न्यायालय को मंजूरी देने और नवी मुंबई में बन रहे “एडवोकेट अकादमी एंड रिसर्च सेंटर” का नाम डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के नाम पर रखने की मांग भी की। उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि राज्य में 32 नए न्यायालय भवन बनाए गए हैं, जिससे न्यायिक कार्यवाही में तेजी आई है। पिछले तीन वर्षों में रिक्त पदों की भर्ती और डिजिटलीकरण को भी प्राथमिकता दी गई है, जिससे न्यायिक प्रक्रिया को और अधिक प्रभावी बनाया जा सके। उन्होंने विश्वास जताया कि महाड न्यायालय का निर्माण शीघ्र पूरा होगा और इससे न्याय वितरण की प्रक्रिया तेज होगी। महिला एवं बाल विकास मंत्री अदिति तटकरे ने कहा कि इस न्यायालय भवन के लिए 2008 से प्रयास जारी थे, और अब यह जनता को बेहतर न्यायिक सुविधा देने में मदद करेगा। इस इमारत के लिए 33 करोड़ रुपये की निधि मंजूर की गई है, और उन्होंने राज्य सरकार से पर्याप्त धनराशि उपलब्ध कराने का अनुरोध किया। मंत्री भरत गोगावले ने न्यायालय की सुरक्षा दीवार और प्रशासनिक भवन निर्माण को मंजूरी देने की मांग रखी। इस अवसर पर सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति यशवंत चावरे लिखित पुस्तक “महाडचा मुक्तिसंग्राम” का विमोचन भी किया गया। कार्यक्रम का समापन महाड के दीवानी न्यायाधीश (वरिष्ठ स्तर) प्रविण उन्हाळे के आभार प्रदर्शन के साथ हुआ।

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