
सुभाष आनंद
पंजाब के बुद्धिजीवी और सामान्य नागरिक अक्सर यही चर्चा करते सुने जाते हैं कि क्या भगवंत मान की सरकार में पहले से भ्रष्टाचार कम हुआ है या पहले से अधिक होने लगा है। कई जगह इस प्रश्न का उत्तर ढूंढने का प्रयास किया गया तो कुल मिलाकर लोगों का कहना है कि पंजाब में भ्रष्टाचार पहले से ज्यादा पांव पसार रहा है। सूचना भी मिली है कि इसी कारण अब पंजाब सरकार बड़े स्तर पर प्रशासनिक फेरबदल करने की तैयारी में है। सरकार गुपचुप रुप से भ्रष्ट अफसरों की लिस्ट तैयार कर रही है,इन्हें जबरी रिटायर कर देने की भी तैयारी हो रही है। पंजाब सरकार ने पिछले दिनों 85 डीएसपी की बदलियां भी की है। पता लगा है कि सरकार को भनक लगी थी कि पुलिस में भ्रष्टाचार व्यापक होता जा रहा है। इसी की रोकथाम के लिए यह निर्णय लिया गया है। सेवानिवृत प्रिंसिपल लेखराज का कहना है कि पुलिस के छोटे से बड़े अधिकारी बड़े पैमाने पर नशे की तस्करी में लिप्त थे, कोई समय था जब थानों में ही नशा बिकता था, नशे की तस्करी में जितने पैसे नशा तस्करों ने नहीं कमाए उससे ज्यादा पुलिस के भ्रष्ट अफसरोन ने कमाए हैं। आज एक एक थाना प्रभारी के पास 6-6 प्लाट, लग्जरी गाड़ियां हैं। उनके बच्चे विदेशों में रहते हैं। जबकि हर सरकारी कर्मचारी को हर साल अपनी चल-अचल संपति का ब्यौरा देना होता है। पंजाब सरकार ने इस तरफ ध्यान ही नहीं दिया अत: भ्रष्टाचार बढ़ता गया। वहीं दीवान चंद सेवानिवृत कर्मचारी का कहना है कि पंजाब सरकार दिल्ली की हार से बुरी तरह डर गई है। अब बड़े स्तर पर ब्यूरोक्रेसी में बदलाव देखने को मिलेगा, क्योंकि आम आदमी पार्टी का सारा फोकस पंजाब पर है यदि वह दिल्ली के पश्चात पंजाब हार जाती है तो आम आदमी पार्टी का नामोनिशान मिट जाएगा। यदि आम आदमी पार्टी को पंजाब में वापस सरकार में आना है तो जीरो भ्रष्टाचार की नीति पर काम करना होगा। अभी तक तो पंजाब के लोगों को पिछली सरकारों और आम आदमी पार्टी की सरकार में कोई खास अंतर देखने को नहीं मिला है। पंजाब में भ्रष्टाचार इतना है कि अबोहर में तैनात सर्जन अपने एजेंट के जरिए 5000 की रिश्वत की मांग कर रहा था। वैसे भी सिविल अस्पतालों में व्यापक भ्रष्टाचार का बोलबाला है, झूठे पर्चे तैयार हो रहे हैं, दवाइयों की खरीद में भारी कमीशन का खेल हो रहा है। भ्रष्टाचार की दौड़ में सबसे आगे पुलिस और पटवारी हैं। भ्रष्टाचार के मामले में उनकी नियत कितनी साफ है कि विजिलेंस ब्यूरो के डायरेक्टर को एक महीने के भीतर ही बदल दिया गया और साथ ही श्री मुक्तसर साहिब के डिप्टी कमिश्नर को भ्रष्टाचार को लेकर निलंबित कर दिया गया। भ्रष्टाचार का खेल विजिलेंस विभाग में भी खेला जा रहा है ,सरकार के पास पक्के सबूत थे कि विजिलेंस विभाग में एक बड़ा गैंग धनाढ्य लोगों को धमकाकर मोटी रकमें ऐंठ रहा है। यहां तक कि कुछ उद्योगपतियों ने मिलकर विजिलेंस के बड़े अफसरों की लिखित शिकायत भी की थी। रियल एस्टेट के व्यापारियों से भी इनपुट मिल रहे थे। विजिलेंस के आला अधिकारी उन पर नजायज दबाव बनाकर रकमें मांग रहे थे, ऐसा भी देखने को आया था कि विजिलेंस विभाग ने जिन लोगों के विरुद्ध भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे ,वह बाद में उसे साबित नहीं कर पाए। कोर्ट में ऐसे केस पहली पेशी पर ठहर नहीं पाए ,देखने में आया है कि ब्यूरो द्वारा छोटी मछलियों पर ज्यादा हाथ डाला, जबकि बड़े-बड़े मगरमच्छों को छुआ तक ही नहीं। विजिलेंस के सूत्रों से पता चला है कि भविष्य में सरकार सख्ती से पेश आ सकती है, विजिलेंस ऐसे आईएएस और आईपीएस अफसरों की लिस्ट तैयार करने में लगी हुई है ,जिन्होंने अपनी आय से अधिक जायदाद बनाई गई हैं। विजिलेंस ब्यूरो ने सरकार को सूचित किया है कि पंजाब के जिलों में हथियारों के लाइसेंस बनवाने के लिए भारी मोटी रकमें वसूली जा रही है। अब तहसीलों में भ्रष्टाचार अवश्य कम हुआ है परंतु पूरी तरह समाप्त नहीं हुआ, परंतु थानों में अभी भी भ्रष्टाचार का बोलबाला है। हैरानी की बात यह है की पुलिस के सुविधा केंद्रों में जहां लेडिस पुलिस अधिकतर हैं वह भी काम के लिए फीस मांगने से भी परहेज नहीं कर रही। श्री मुक्तसर के डिप्टी कमिश्नर पर यह आरोप था कि वह वहां के दो सामाजिक संगठनों के द्वारा शस्त्रों के लाइसेंस बनवाने में मोटी रकमें ले रहे थे, उनका पिछला रिकार्ड भी कुछ अच्छा नहीं था,विजिलेंस के द्वारा भगवंत मान को सूचनाएं मिल रही थी। उनके 92 में से 12 विधायक ऐसे हैं जो भ्रष्टाचार में पूरी तरह से लिप्त है ।भगवंत मान उन पर खास पैनी दृष्टि रखे हुए थे, कुछ विधायक ऐसे भी हैं जो शाम पांच बजते ही शराब पीने लग जाते हैं,वे 5 बजे के पश्चात जनता से नहीं मिलते । धीरे-धीरे विधायक जनता से दूरी बना रहे हैं। सड़क सुरक्षा फंड में भी पिछले दिनों बड़े घोटाले होने के समाचार आए थे, ट्रक यूनियन के प्रधान के पद सरेआम बेचे गए। कई विधायकों की छत्रछाया में जुए खाने, सट्टा, अवैध शराब के धंधे आम चल रहे हैं, किसानों के धरनों में कुछ चोरी की ट्रालियां, आम आदमी पार्टी के घरों से वसूल की गई। कुछ विधायक तो विधायक का रुतबा रखते ही नहीं बल्कि हाथ पैर जोड़कर पुलिस अफसरों से काम करवाने की अर्ज करते देखे गए हैं। पंजाब की जनता भी आम आदमी पार्टी के विधायकों से नाराज है, क्योंकि पिछले 3 वर्ष में उनके क्षेत्र में विकास का कोई काम ही नहीं हुआ, नए-नए विधायकों और मंत्रियों की पत्नियां किलो किलो सोना पहन कर बाहर निकलती है, वह सरकारी गाड़ियों के काफिलों में सफर करना पसंद करती हैं। आम जनता ने विधायकों को जो इज्जत बख्शी थी अब उसे हजम नहीं हो रही,आखिरी हिसाब किताब जनता की कचहरी में होगा ,जनता जिन्हें अर्श पर बैठा देती है वही जनता फर्श पर गिराना भी जानती है। आम आदमी पार्टी स्वयं दबी जुबान में कह रही हैं कि कौन सा 2027 का चुनाव लड़ना है, पार्टी के वर्कर बुरी तरह से हताश हो रहें है, कुछ लालची लोग ही विधायकों के चारों तरफ घूमते नजर आते हैं, कुछ बुद्धिजीवी, समाज सेवी संस्थाएं, पढ़ा लिखा वर्ग, निष्काम सेवा करने वाले लोगों ने इनसे अभी से दुनिया बनानी शुरू कर दी है। पंजाब में पार्कों, सड़कों पर अव्यवस्था, बिगड़ती कानून व्यवस्था, हेरोइन का कारोबार, रोज-रोज हत्याएं इत्यादि को लेकर जनता परेशान है।